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गैरसैंण में है पौराणिक रामनाली मंदिर,

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गैरसैंण। अयोध्या में आज राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम आयोजित हुआ। 500 साल के लंबे समय के बाद आज से नए स्वर्णिम काल का आगाज हो गया है। अयोध्या में रामलला मूर्ति की प्राण-प्रतिष्ठा के धार्मिक और आध्यात्मिक माहौल से पूरा देश सराबोर है। वहीं उत्तराखंड जैसे पर्वतीय राज्य से भी प्रभु श्रीराम का गहरा नाता रहा है। ऐसा ही एक मंदिर उत्तराखंड के मध्य हिमालयी क्षेत्र चमोली के गैरसैंण के समीप स्थित है।
उत्तराखंड के पामीर कहे जाने वाले दूधातौली पर्वत श्रृंखलाओं के पूर्वी भाग में, दिवालीखाल से महज 4 किमी और गैरसैंण बाजार से लगभग 6 किलोमीटर की दूरी पर कालीमाटी गांव में रामनाली मंदिर स्थित है। रामनाली मंदिर को लेकर कहा जाता है कि जब भगवान श्रीराम सीता मैया और भाई लक्ष्मण के साथ उत्तराखंड भ्रमण पर आए थे तो इस स्थान पर सीता माता को प्यास लगी। लेकिन कोई जल स्रोत न होने से जब सीता माता प्यास से व्याकुल हो रही थीं। तब श्रीराम चंद्र जी ने यहां पर स्थित सूखे नाले की ओर बाण चलाया। जिससे जलधारा फूट पड़ी और सीता माता ने अपनी प्यास बुझाई। तब से इस स्थान को रामनाली के नाम से जाना जाता है और पानी के छोटे से कुंड को सीता कुंड के नाम से जानते हैं।
यहां से महज 500 मीटर दूर दिवाली गधेरे के मिलने के बाद रामनाली को रामगंगा नाम से पुकारा जाता है। विकासखंड गैरसैंण के मेहलचौरी, माईथान क्षेत्रों से 20 किलोमीटर का सफर तय कर रामगंगा अल्मोड़ा जिले के चौखुटिया में प्रवेश करती है। जहां से नैनीताल जिले के रामनगर शहर के नजदीक से गुजरते हुए रामगंगा नदी पत्थर और मिट्टी से निर्मित सबसे बड़े कालागढ़ डैम में जल संचय का काम करती है। इसके बाद उत्तर प्रदेश के गढ़गंगा नामक स्थान पर गंगा नदी में मिल जाती है। रामनाली मंदिर में स्थानीय लोगों द्वारा राम, लक्ष्मण, सीता और हनुमान जी की प्राचीन मूर्तियां स्थापित की गई हैं। जहां रामनवमी, हनुमान जयंती, नवरात्रों समेत तमाम धार्मिक अवसरों पर पूजा अनुष्ठान और भंडारा किया जाता है।
मंदिर के स्थानीय पुजारी अवतार सिंह बिष्ट और बाबा सुदामा दास बताते हैं कि सरकार द्वारा पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए इस मंदिर को जाने वाले रास्ते और अन्य सुविधाएं विकसित करनी चाहिए। राम मंदिर आंदोलन में कारसेवक रहे रामचंद्र गौड़ का कहना है कि पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत द्वारा पौड़ी के फलस्वाणी में सीता-माता मंदिर के विकास सहित सीता सर्किट की प्रस्तावित योजना में रामनाली मंदिर को भी शामिल किया जाना चाहिए। जिससे मंदिर क्षेत्र का बेहतर विकास और प्रबंधन होने से ग्रीष्मकालीन राजधानी क्षेत्र में धार्मिक-पर्यटन का बेहतर विकल्प बनाया जा सकता है।

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