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उत्तराखंड में भारतीय जनता पार्टी ने लगातार दूसरी बार विधान सभा चुनाव जीतकर रचा इतिहास।

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श्रेष्ठन्यूज़ देहरादून उत्तराखंड संपादक वन्दना रावत।

देहरादून उत्तराखंड में भारतीय जनता पार्टी ने लगातार दूसरी बार विधान सभा चुनाव जीतकर इतिहास रच दिया। वर्ष 2000 में राज्य के गठन के बाद से यह पहला


आ!मौका है जब प्रदेश में कोई सरकार सत्ता पर लगातार दोबारा काबिज हुई है। इसमें सबसे अधिक मोदी फैक्टर यानी पीएम मोदी पर राज्य के लोगों का विश्वास है। हालांकि, भाजपा की जीत के लिए कांग्रेस की कुछ गलतियां भी उतनी ही जिम्मेदार मानी जा रही है। पहला तो यह की कांग्रेस ने हरीश रावत को चुनाव प्रचार की कमान तो दी लेकिन, सीएम फेस नहीं बनाया। इससे जनता में कन्फ्यूजन रहा क्योंकि सामने पुष्कर सिंह धामी जैसा चेहरा पहले से ही भाजपा ने घोषित कर रखा था। दूसरा बड़ा कारण कांग्रेस का वह ‘मुस्लिम कार्ड’ रहा जिसके बूते वह प्रदेश में 14 प्रतिशत मुस्लिमों का वह साथ पाना चाहती थी। राजनीतिक जानकार मानते हैं कि कांग्रेस के देवभूमि माने जाने वाले उत्तराखंड में ‘मुस्लिम यूनिवर्सिटी’  बनाने की खबर की दूसरे पक्ष की ओर उल्टी प्रतिक्रिया हुई और कांग्रेस का गेम खराब हो गया।
चुनाव से कुछ दिनों पहले ही कांग्रेस नेता अकील अहमद ने प्रदेश में कांग्रेस सरकार बनने पर मुस्लिम यूनिवर्सिटी बनाने की घोषणा कर दी थी। जिसके बाद उत्तराखंड विधानसभा चुनावों से ठीक पहले राजनीति खूब गरमा गई थी। इस मामले पर सीएम पुष्कर सिंह धामी  और कांग्रेस नेता हरीश रावत  के बीच जुबानी जंग होने लगी और इससे उत्तराखंड के पहाड़ों में भी सियासी गरमाहट आ गई। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इसे कांग्रेस की धार्मिक तुष्टिकरण की राजनीति बताया और तंज कसते हुए कहा कि कांग्रेस के ‘चार धाम-चार काम’ बस यही रह गए हैं कि वह उत्तराखंड में मुस्लिम यूनिवर्सिटी बनवाएंगे। राजनीतिक जानकार मानते हैं कि इसका असर उत्तराखंड की बहुसंख्यक जनता के जेहन में बैठ गई तभी तो भाजपा को 44 प्रतिशत से अधिक मत मिले। हालांकि, पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने भाजपा के इस गेम प्लान को समझ लिया और सफाई देते हुए कहा कि जब हमने संस्कृत यूनिवर्सिटी बनाने की बात कही तो उस पर ध्यान नहीं दिया। अब किसी ने मुस्लिम यूनिवर्सिटी को लेकर कुछ कह दिया है तो भाजपा के लोग सोची समझी साजिश के तहत उस बयान को तूल दे रहे हैं। हरीश रावत बार-बार सफाई देते रहे, पर वह खुलकर मुस्लिम यूनिवर्सिटी की बात का विरोध भी नहीं कर पाए। ऐसे में भाजपा ने कांग्रेस के इस कार्ड को अच्छे तौर पर भुना लिया और प्रदेश में इतिहास रच दिया।

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