लेकिन, पैसे लेने के बावजूद गोविंद ने प्लॉट नहीं दिलाया। रुपये वापस मांगे गए तो गोविंद ने 13 लाख रुपये ही लौटाए। बाकी 14 लाख रुपये नहीं दिए। 25 मई को गोविंद ने यूनियन बैंक ऑफ इंडिया प्रेमनगर का चेक दिया। 24 अगस्त 2018 को यह चेक पीएनबी में लगाया गया तो बाउंस हो गया।
इसके बाद 31 अगस्त को उन्होंने नोटिस भेजा। इसके बाद एक और चेक दिया और वह भी बैंक में बाउंस हो गया। इस प्रकरण में न्यायिक मजिस्ट्रेट-प्रथम ने दो अलग-अलग मामलों की सुनवाई करते हुए पार्षद को छह-छह माह की कैद के साथ 5.10- 5.10 लाख रुपये हर्जाने की सजा सुनाई। उधर, भाजपा पार्षद का कहना है कि उन्हें कोर्ट के फैसला की जानकारी नहीं है।