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60 दिन के अंदर भर्ती होंगे 1500 वार्ड बॉयज, विशेषज्ञ डॉक्टरों की कमी भी होगी दूर

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देहरादून, 22 फरवरी। स्वास्थ्य मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने सदन में बताया कि उत्तराखंड में 60 दिन के भीतर 1500 वार्ड बॉयज भर्ती किए जाएंगे। विशेषज्ञ चिकित्सकों की कमी भी तीन साल के भीतर दूर हो जाएगी। हमारे छात्र इसी साल से पीजी करके लौटने शुरू हो जाएंगे। खानपुर, डोईवाला, रायपुर, सितारगंज समेत कई जगहों पर सीएचएसी को उच्चीकृत करके उप चिकित्सालय बनाया जा रहा है। एमबीबीएस के 275 बैकलॉग के पदों को भर्ती करने के लिए जल्द ही विज्ञप्ति जारी होगी।

पहाड़ से पलायन के लिए बदहाल सुविधाएं जिम्मेदार
पूर्व नियम-58 के अंतर्गत कांग्रेस विधायक प्रीतम सिंह ने स्वास्थ्य सुविधाओं का मामला उठाया। उन्होंने कहा कि पर्वतीय क्षेत्रों में स्वास्थ्य सुविधाएं लचर हैं। अस्पतालों में डॉक्टरों के पद खाली हैं। वेलनेस सेंटर भी बुरे हालात में हैं। लोग स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए भटक रहे हैं। उनके साथ विधायक मदन सिंह बिष्ट, विधायक लखपत बुटोला ने भी स्वास्थ्य सुविधाओं का मामला उठाया। उन्होंने पहाड़ से पलायन के लिए लचर स्वास्थ्य सुविधाओं को जिम्मेदार माना।

मोतियाबिंद ऑपरेशन, टीबी, एनीमिया का निशुल्क इलाज
जवाब में स्वास्थ्य मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने बताया कि सरकार की मंशा है कि प्रत्येक व्यक्ति को पहाड़ में ही इलाज मिले। 272 फ्री जांच योजना के तहत एक साल में सरकार ने 26,77,811 लोगों की निशुल्क जांच की है। पर्वतीय क्षेत्रों में 1,51,007 संस्थागत प्रसव राज्य में कराए। मोतियाबिंद ऑपरेशन से लेकर आना-जाना व चश्मा निशुल्क है। उन्होंने टीबी, एनीमिया के निशुल्क इलाज की जानकारी भी सदन को दी।

हरिद्वार मेडिकल कॉलेज पीपीपी मोड में नहीं
बताया कि टीबी उन्मूलन में 5000 से ज्यादा गांव टीबी मुक्त हो गए। 2025-26 तक राज्य को टीबीमुक्त करेंगे। घर-घर टीबी जांच के लिए गाड़ियां रवाना की हैं। उन्होंने बताया कि पांच सरकारी मेडिकल कॉलेजों में 650 में से 50 प्रतिशत छात्र बांड से पढ़ाई कर रहे हैं, जो पहाड़ में सेवा देंगे। वर्तमान में 204 छात्र पीजी कर रहे हैं। सरकार का मकसद है कि विशेषज्ञ चिकित्सकों की कमी पूरी हो। पूरा रोडमैप बनाया गया है। उन्होंने बताया कि तीन साल में विशेषज्ञ चिकित्सकों की कमी दूर हो जाएगी। जो 400 से ज्यादा छात्र पीजी करेंगे, उनमें से 80 प्रतिशत तक पढ़कर लौट आएंगे। उन्होंने विपक्ष के सवाल पर यह भी बताया कि हरिद्वार मेडिकल कॉलेज अभी पीपीपी मोड में संचालित नहीं हो रहा है।

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