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उच्च स्तरीय बैठक में अधिकारियों को दिये योजना के निर्बाध संचालन के निर्देश

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देहरादून। प्रदेश के कर्मचारियों, पेंशनरों व उनके आश्रितों को गोल्डन कार्ड से उपचार में आ रही व्यवहारिक दिक्कतों को दुरूस्थ किया जायेगा। इसके लिये विभागीय अधिकारियों को लाभार्थियों को समुचित व्यवस्था मुहैया कराने के लिये ठोस इंतजामों की व्यवस्था पर फोकस करने के निर्देश दिये गये हैं, साथ ही योजना के निर्बाध संचालन के लिये हितधारकों से बातकर ठोस प्रस्ताव तैयार कर शासन को उपलब्ध कराने को कहा गया है। इसके अलावा बैठक में स्वास्थ्य विभाग के अंतर्गत तकनीकी संवर्ग के रिक्त पदों को आई.पी.एच.एस. मानकों के अनुरूप सृजित कर शीघ्र ही भर्ती कराने के निर्देश भी अधिकारियों को दीये गये।
सूबे के चिकित्सा स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा मंत्री डॉ. धन सिंह रावत की अध्यक्षता में सचिवालय स्थित मुख्य सचिव सभागार में गोल्डन कार्ड योजना की समीक्षा की गई। जिसमें मुख्य सचिव आनंद वर्द्धन सहित वित्त सचिव दिलीप जावलकर, स्वास्थ्य सचिव डा. आर राजेश कुमार के साथ ही राज्य स्वास्थ्य प्राधिकरण के अध्यक्ष अरविंद सिंह ह्यांकी व एस.एच.ए. की मुख्य कार्यकारी अधिकारी रीना जोशी उपास्थित रहे। राज्य सरकार स्वास्थ्य योजना (एस.जी.एच.एस.) की समीक्षा करते हुये डॉ. रावत ने अधिकारियों को गोल्डन कार्ड योजना के सभी लाभार्थियों को योजना का समुचित लाभ देने के निर्देश दिये। इसके लिये उन्होंने अधिकारियों को ठोस योजना तैयार करने को कहा ताकि गोल्डन कार्ड धारकों को योजना का अनवरत लाभ मिलता रहे। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार स्वास्थ्य योजना  प्रदेश के कर्मचारियों, पेंशनरों व उनके आश्रितों के लिये बेहद महत्वपूर्ण है और प्रत्येक लाभार्थी को बेहतर से बेहतर लाभ देना हमारा दायित्व है। उन्होंने विभागीय अधिकारियों को हितधारकों से सुझाव लेकर औचित्यपूर्ण प्रस्ताव तैयार कर शासन को उपलब्ध कराने के निर्देश दिये ताकि इसे कैबिनेट बैठक में लाया जा सके।
समीक्षा बैठक में अधिकारियों ने बताया कि योजना के तहत गोल्डन कार्ड धारकों की ओर से आने वाले अंशदान की अपेक्षा उपचार खर्च में भारी बढ़ोत्तरी हुई है। ऐसे में गैप फंडिग के कारण योजना के संचालन में बाधाएं आ रही हैं। बैठक में बताया कि वर्ष 2024-25 में राजकीय व स्वायत कार्मिकों तथा पेंशनर्स की ओर से कुल 150 करोड़ रूपये का अंशदान जमा हुआ जबकि योजना के तहत लाभार्थियों के उपचार पर रूपये 335 करोड़ का खर्च आया है। जिससे अस्पतालों का भुगतान न हो पाना योजना में बाधक है। योजना के सुचारू संचालन के लिये विभागीय अधिकारियों ने मास्टर पैकेज, अंशदान में बढ़ोतरी, अस्पतालों द्वारा अनुचित आर्थिक लाभ लिए जाने की प्रवृत्ति पर अंकुश, सेवा प्रदाता को प्रोत्साहन, औषधि केंदों से दवा वितरण समेत कई सुझाव रखे, साथ ही शासन को पूर्व में भेजे गए प्रस्ताव के बारे में अवगत कराया। बैठक में स्वास्थ्य महानिदेशक डॉ. सुनीता टम्टा, राज्य स्वास्थ्य प्राधिकरण के निदेशक वित्त अभिषेक आनंद, निदेशक प्रशासन डा विनोद टोलिया सहित स्वास्थ्य विभाग एंव एस.एच.ए के अन्य अधिकारी मौजूद रहे।
सचिवालय स्थित मुख्य सचिव सभागार में आयोजित उच्च स्तरीय बैठक में विभागीय ंमत्री डॉ. धन सिंह रावत ने स्वास्थ्य विभाग में तकनीकी संवर्ग के अंतर्गत विभिन्न पदों पर शीघ्र भर्ती करने के निर्देश अधिकारियों को दिये। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने प्रदेशभर के अधिकांश चिकित्सा इकाईयों में चिकित्सा उपकरण उपलब्ध करा दिये हैं, ऐसे में उनके संचालन एवं रख-रखाव के लिये तकनीशियों तथा विभिन्न चिकित्सालयों की पैथोलॉजी एवं ब्लड बैंकों में लैब तकनीशियनों की नियुक्ति की जानी आवश्यक है। इसके लिये उन्होंने विभागीय अधिकारियों को आईपीएचएस मानकों के अनुरूप प्रत्येक चिकित्सालयों में प्रमुख रूप से लैब तकनीशियन, ओटी तकनीशियन, डायलिसिस तकनीशियन, ईसीजी तकनीशियन, एक्स-रे  तकनीशियन, ऑप्टोमेट्रिस्ट के पदों को शीघ्र सृजित कर भर्ती प्रक्रिया शुरू करने के निर्देश दिये।

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