Dehradun Shresthnews – गांव देहात में एक कीड़ा पाया जाता है, जिसे गोबरैला कहा जाता है। उसे गाय, भैसों के ताजे गोबर की बदबू बहुत भाती है। वह सुबह से ही गोबर की तलाश में निकल पड़ता है और सारा दिन उसे जहां कहीं भी गोबर मिलता है वहीं उसका गोला बनाना शुरू कर देता है। शाम तक वो बहुत बड़ा गोबर का गोला बना लेता है और उसे धकेलते हुए अपने बिल तक ले आता है। बिल तक पहुंच कर पता चलता है गोबर का गोला तो बहुत ज्यादा बड़ा हो गया और उसके घर का प्रवेश द्वार तो गोले के मुताबिक तो बहुत छोटा है। बहुत अधिक परिश्रम के बाद भी वो गोले को बिल के अंदर नहीं धकेल पाता और वह उसे वहीं छोड़ बिल में चला जाता है….
यही हाल हम मनुष्य का भी है, सारी जिंदगी दुनिया भर का एसो आराम की जरूरतों को इकट्ठा करने में लगे रहते है पर अंत में पता चलता है की इन चीजों की वहां जरूरत ही नही है। यह सारी चीज तो वहां जा ही नही सकती और तब हम अपनी सारी जिंदिगी की जमा पूंजी को बड़ी हसरतों से देखते हुए इस दुनियां को अलविदा कह देते है….यही सत्य है………यही अंतिम सत्य है……