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हेमकुंड साहिब के कपाट विधि विधान के साथ शीतकाल के लिए बंद।

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श्रेष्ठन्यूज़ देहरादून उत्तराखंड संपादक वन्दना रावत।

चमोली। सिखों के पवित्र तीर्थ स्थल प्रसिद्ध हेमकुंड साहिब और लोकपाल लक्ष्मण मंदिर के कपाट सोमवार को विधि विधान के साथ बंद कर दिए गए हैं। भारी बर्फबारी के बीच कई श्रद्धालु इस खास पल के साक्षी बने. वहीं, तीर्थयात्रियों में खासा उत्साह भी देखने को मिला।
गुरुद्वारा श्री हेमकुंड साहिब  के कपाट 10 अक्टूबर यानी सोमवार को दोपहर एक बजे शीतकाल के लिए बंद कर दिए गए। इसके अलावा लक्ष्मण लोकपाल मंदिर के कपाट भी बंद हो कर दिये गये हैं। कपाट इस साल 22 मई को खोले गए थे। गौर हो कि हेमकुंड साहिब में सिखों के दसवें और अंतिम गुरु, गुरु गोविंद सिंह ने तपस्या की थी। हेमकुंड साहिब विश्वभर में सबसे ऊंचाई पर स्थित गुरुद्वारा है, जो समुद्र तल से 15,225 फीट की ऊंचाई पर स्थित है। इस पावन स्थल के पास हिंदू धर्म का भी एक प्रमुख मंदिर है, जो हेमकुंड साहिब की बर्फिली वादियों व हेमकुंड झील के तट पर बसा लक्ष्मण मंदिर है, जो लोकपाल मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। हेमकुंड संस्कृत शब्द है। इसका मतलब होता है बर्फ का कुंड। यही वजह है कि इसका नाम हेमकुंड पड़ा। हेमकुंड में झील के किनारे सिखों का प्रसिद्ध गुरुद्वारा है। बर्फ की ऊंची-ऊंची चोटियों से घिरे होने की वजह से यहां का वातावरण बेहद शांत है। यहां साल में 7-8 महीने बर्फ जमी रहती है। हिमालय की गोद में बसे हेमकुंड साहिब में हर साल लाखों श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं। हेमकुंड साहिब चारों ओर से पत्थरीले पहाड़ और बर्फ से ढकी चोटियों के बीच बसा है। यहां का सफर काफी मुश्किल है। हेमकुंड साहिब जाने के लिए श्रद्धालुओं को बर्फीले रास्ते से होकर जाना पड़ता है।

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