श्रेष्ठन्यूज़ देहरादून उत्तराखंड संपादक वन्दना रावत।
देहरादून: सोशल मीडिया पर उत्तराखण्ड के लोगों की आवाज और महिला सशक्तीकरण की मिशाल कमला रावत किसी परिचय की मोहताज नहीं है। चमोली जनपद के सुदरवर्ती गांव ठेली में रहने के बावजूद कमला जिस बेबाकी से सोशल मीडिया पर लोगों की बातों को उठाती और रखती हैं। उससे हर कोई वाकिफ है। बुधवार को देहरादून में राज्य स्थापना दिवस के अवसर पर एक रेडियो चैनल द्वारा आयोजित कार्यक्रम में उन्हें मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने “मैं उत्तराखण्ड हूं” पुरुस्कार से सम्मानित किया।
ट्वीटर जैसे प्लेटफॉर्म पर खासा सक्रिय रहने के साथ ही कमला स्थानीय स्तर पर भी लोगों की समस्याओं को हल करने में उनकी मदद करती है। बीते वर्ष भी 34 वर्षीय कमला खबरों की सुर्खियों में थी जब उन्होंने 33 वर्ष की उम्र में इंटर की परीक्षा उत्तीर्ण की। इस खबर में भी खास बात यह थी कि जब कमला इंटर की यह परीक्षा दे रही थी तब उनकी बेटी भी नौवीं की परीक्षा दे रही थी।
कमला का कहना है कि पहले वह सिर्फ 8वीं तक पढ़ी हुई थी। वर्ष 2006 में उनकी शादी हो गई। जिसके बाद तीन बच्चों और परिवारिक जिम्मेदारियों के कारण वह आगे नहीं पढ़ सकी। जिसके बाद बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ के नारे ने उन्हें प्रभावित किया और उन्होंने अपनी पढ़ाई पूरी की।
सोशल मीडिया पर लोगों की आवाज बन कमला अब तक क्षेत्र से जुड़ी हुई कई समस्याओं का समाधान करा चुकी हैं। उनका कहना है कि उनको मुख्यमंत्री द्वारा मिला यह सम्मान पहाड़ तथा गांव की हर ग्रामीण महिला का सम्मान है। प्रदेश भर में खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में न जाने कितनी और माताएं बहने होगी जो आज भी सामने नहीं आ पाती और समाज में अपना अहम योगदान निभा रही है। ऐसे में उनको यह मिला सम्मान पहाड़ की महिलाओं को प्रोत्साहित करेगा।