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चुनाव समीकरण का दोनों उत्तराखंड उत्तर प्रदेश की राजनीति पर असर पड़ेगा

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श्रेष्ठन्यूज़ समीकरण का दोनों प्रदेश की राजनीति पर पड़ेगा असर
देहरादून। उत्तराखंड विधानसभा चुनाव 2022 से पहले भाजपा में उथल-पुथल देखी जा रही है। उत्तर प्रदेश से उत्तराखंड तक भाजपा के खेमे में नेताओं की नाराजगी जमकर देखी जा रही है। टिकट को लेकर भी नेताओं के बीच खींचतान दिखाई दे रहा है। नेता एक-दूसरे पर कटाक्ष करने से नहीं बच रहे हैं। ऐसी ही स्थिति पिछले विधानसभा 2017 चुनाव में कांग्रेस के खेमे में थी। राजनीतिक पंडितों का यह है कि चुनाव से पहले ही चुनाव कौन जीतेगा। इसको लेकर कयासे लगने शुरू हो जाते हैं। इस बीच कुछ राजनीतिक घटनाक्रम इन कयासों को और भी मजबूती देते हैं। मौजूदा चुनाव की बात करें तो इस वक्त विधानसभा चुनाव 2022 से पहले भाजपा के खेमे में उथल-पुथल मची हुई है। इसका एक कारण यह जरूर है कि भाजपा का खेमा काफी बड़ा हो चुका है और भाजपा के पाले में कई ऐसे नेता भी हैं जिन्होंने पिछले चुनाव में ही भाजपा का दामन थामा था। यूपी से शुरू हुई भाजपा में भगदड़ के बाद अब उत्तराखंड में भी हलचल देखी जा रही है। उत्तराखंड भाजपा में पहले ही 2 जिलों के जिला पंचायत अध्यक्ष भाजपा छोड़ कांग्रेस में शामिल हो चुके हैं। वहीं, भाजपा से कांग्रेस में आने वाले नेताओं की चर्चाएं भी जोरों पर है। लेकिन सवाल यह है कि यह उथल-पुथल किस ओर इशारा रही है। कांग्रेस प्रवक्ता और मीडिया इंचार्ज राजीव माहेश्वरी का कहना है कि भाजपा में मची भगदड़ इस बात की गवाह है कि भाजपा ने पिछले 5 सालों तक किस तरह से प्रदेश में बेरोजगारी महंगाई और अपनी जनविरोधी योजनाओं के बावजूद भी अपने लोगों को जबरन मजबूरी में रोक कर रखा था जो कि अब चुनाव आने पर अपने मन की कर रहे हैं। भाजपा की भगदड़ प्रदेश में कांग्रेस की हवा बनाने का काम कर रही है।भाजपा प्रवक्ता नवीन ठाकुर का कहना है कि यह चुनावी समय है। भाजपा एक बड़ा परिवार है। ऐसे में भाजपा में कार्यकर्ताओं की संख्या भी ज्यादा है और जहां पर दावेदारों की भीड़ होगी, वहीं पर हलचल होगी। इसलिए ऐसे घटनाक्रम लाजमी है। भाजपा का कहना है कि कांग्रेस में ढूंढने से भी दावेदार नहीं मिल रहा है। ऐसे में कांग्रेस कुछ ना ही बोले तो ज्यादा बेहतर है।

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