देहरादून। पैनेसिया अस्पताल देहरादून की वरिष्ठ स्त्री एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञ डॉ. शरण्या ने कहा कि स्तनपान न केवल रोकी जा सकने वाली मौतों को समाप्त करने के लिए एक महत्वपूर्ण उपकरण है, बल्कि आर्थिक और सामाजिक समृद्धि के लिए उत्प्रेरक भी है। हमें जन्म के एक घंटे के भीतर प्रारंभिक स्तनपान, छह महीने तक विशेष नर्सिंग और दो साल की उम्र तक निरंतर स्तनपान के महत्व को दोहराना और जोर देना चाहिए, हम सालाना 20,000 मातृ मृत्यु और 823,000 शिशु मृत्यु को समाप्त कर सकते हैं। कामकाजी स्तनपान कराने वाली माताओं का समर्थन करने के लिए वैश्विक मानसिकता में बदलाव आवश्यक है। काम के दौरान उन्हें कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है, लेकिन जागरूकता, शिक्षा और समझ के साथ, हम उन्हें इन बाधाओं को दूर करने के लिए सशक्त बना सकते हैं। कामकाजी महिलाओं द्वारा सामना की जाने वाली कमी को दूर करने के लिए स्तन के दूध की उचित देखभाल और संरक्षण महत्वपूर्ण है। स्तनपान शिशु हेतु अत्यधिक महत्व रखता है। जैसे कि शिशुओं में रोगप्रतिरोधक शक्ति बढ़ाता है। शिशु के पोषक आहार मिलता है। योग्य सुदृढ़ एवं दिमागी विकास के लिए उपयुक्त है। अपूर्ण कार्यकाल में जन्मे शिशु के आंतो को संरक्षण देता है। स्तनपान सिर्फ शिशु नहीं माताओं के लिए भी लाभदायक है जैसे कि अंडाशय एवं स्तन कैंसर की संभावना को कम करता है। गर्भावस्था में बढ़े घाट वजन को कम करता है। आकसिटोसिन हारमोन्स प्रसुती के पश्चात रक्तस्त्राव को कम करता है। स्तनपान शिशु जन्म के पहले घंटे के अंदर कराना चाहिए। पहले 6 महीने शिशु को केवल स्तनपान कराये कोई अन्न या पानी बिलकुल भी ना दें। पहला दूध गाढ़ा पीला रंग जिसे कोलोस्ट्रम बोलते है, वह शिशु के सुरक्षा पोषण के लिए अत्यधिक आवश्यक है। आज के आधुनिक समाज में कुछ भ्रांतियां फैली है जिस वजह से मातायें स्तनपान से संकोच करती हैं। हमें इन सब बातें से ऊपर उठकर अपने जच्चा और बच्चा के लिए स्वस्थ समाज बनाना है। अतरू यही निषकर्ष है कि सबका यही संकल्प स्तनपान का नहीं कोई विकल्प।
स्तनपान से होने वाले फायदे
स्तनपान शिशु हेतु अत्यधिक महत्व रखता है। जैसे कि शिशुओं में रोगप्रतिरोधक शक्ति बढ़ाता है। शिशु के पोषक आहार मिलता है। योग्य सुदृढ़ एवं दिमागी विकास के लिए उपयुक्त है। अपूर्ण कार्यकाल में जन्मे शिशु के आंतो को संरक्षण देता है। स्तनपान सिर्फ शिशु नहीं माताओं के लिए भी लाभदायक है जैसे कि अंडाशय एवं स्तन कैंसर की संभावना को कम करता है। गर्भावस्था में बढ़े घाट वजन को कम करता है। आकसिटोसिन हारमोन्स प्रसुती के पश्चात रक्तस्त्राव को कम करता है। स्तनपान शिशु जन्म के पहले घंटे के अंदर कराना चाहिए। पहले 6 महीने शिशु को केवल स्तनपान कराये कोई अन्न या पानी बिलकुल भी ना दें। पहला दूध गाढ़ा पीला रंग जिसे कोलोस्ट्रम बोलते है, वह शिशु के सुरक्षा पोषण के लिए अत्यधिक आवश्यक है। आज के आधुनिक समाज में कुछ भ्रांतियां फैली है जिस वजह से मातायें स्तनपान से संकोच करती हैं। हमें इन सब बातें से ऊपर उठकर अपने जच्चा और बच्चा के लिए स्वस्थ समाज बनाना है। अत: यही निषकर्ष है कि सबका यही संकल्प स्तनपान का नहीं कोई विकल्प ।