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चंद्रयान-3 चंद्रमा पर दुनिया का 145 वां अभियान

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नई दिल्ली। 23 अगस्त 2023, दिन बुधवार, समय शाम छह बजकर चार मिनट। तिथि और समय के यह आंकड़े 140 करोड़ से अधिक भारतीयों के मन-मस्तिष्क पर सदा-सर्वदा के लिए अंकित हो चुके हैं। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO Mission) के दृढ़ संकल्प और विज्ञानियों के अथक प्रयासों का सुपरिणाम है कि 41 दिन लंबी यात्रा व दिल की धड़कन बढ़ा देने वाली लैंडिंग प्रक्रिया के बाद अंतत: चंद्रयान-3 मिशन (Chandrayaan-3 Mission) से भारत चांद पर पहुंचने में सफल रहा। लैंडर (VIKRAM) के सफलतापूर्वक चांद पर उतरने के साथ हम विश्व में ऐसा करने वाले मात्र चौथे देश बन गए हैं, लेकिन इससे भी अधिक गौरवान्वित करने वाला तथ्य यह है कि चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतरने वाले हम विश्व के पहले राष्ट्र हैं। भारत वहां पहुंचा है जहां अभी तक कोई देश नहीं पहुंच सका। इसी के साथ करीब चार वर्ष पहले चंद्रयान-2 की असफलता से मिले जख्म भी भर चुके हैं। आइए जानते हैं चांद पर 14 दिन लैंडर और रोवर क्या करेंगे?

चंद्रयान-3 चंद्रमा पर दुनिया का 145 वां अभियान है। इसके बाद भेजे गए और विफल रहे रूस का लूना दुनिया का 146वां चंद्र अभियान था 109 में से 90 अभियानों को 1958 और 1976 के बीच चांद पर भेजा गया। उसके बाद चांद पर अभियानों को भेजने का सिलसिला सुस्त पड़ गया। बीसवीं सदी के नौवें दशक में चंद्रमा पर अभियान धीरे-धीरे फिर से शुरू हो गए और 2008 में चंद्रयान -1 द्वारा चंद्रमा पर की गई पानी की खोज ने दुनिया का ध्यान चंद्रमा की ओर फिर आकर्षित किया। 52 फीसद की सफलता दर के साथ अंतरिक्ष एजेंसियां अबतक कुल 38 सॉफ्ट लैंडिंग के प्रयास कर चुकी हैं। चंद्रयान-2 चंद्रमा की सतह पर लैंडिंग का भारत का पहला प्रयास था। इस मिशन ने भारत को अमेरिका, रूस और चीन के बाद चंद्रमा पर लैंडिंग कराने वाला चौथा देश बना दिया है
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