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पूर्णागिरि रोपवे परियोजना को झटका, देरी के कारण कंपनी का कॉन्ट्रैक्ट रद

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चंपावत, 28 मार्च। उत्तर भारत में प्रसिद्ध पूर्णागिरि धाम जाने के लिए आवागमन सुगम करने के उद्देश्य से बन रहे रोपवे निर्माण की उम्मीदों को झटका लगा है। उत्तराखंड पर्यटन विकास बोर्ड (यूटीडीबी) ने रोपवे निर्माण करा रही कंपनी को अनुबंध रद करने का नोटिस दिया है। परियोजना का कार्य 30 अप्रैल 2025 को पूरा होना है, लेकिन अभी तक आधारभूत संचरना भी तैयार नहीं हो पाई है। कंपनी के साथ शुरुआती अनुबंध अक्टूबर 2012 में हुआ था। चंपावत जिले के टनकपुर नगर से 22 किमी की दूर स्थित पूर्णागिरि धाम वर्षभर श्रद्धालुओं के आने का क्रम जारी रहता है।

साल में 50 लाख श्रद्धालु आते हैं माता के धाम
होली के अगले दिन से तीन माह तक विशेष मेला आयोजित होता है। वर्ष में 50 लाख श्रद्धालु माता के धाम आते हैं। श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए दिल्ली की पूर्णागिरि रोपवे प्रोजेक्ट कंपनी प्रा.लि. कंपनी को रोपवे निर्माण का काम दिया गया। सीएम पुष्कर धामी चाहते हैं कि रोपवे जल्दी बनकर तैयार हो और श्रद्धालुओं को इसका लाभ मिले, लेकिन कंपनी इस दिशा में खास प्रगति नहीं दिखा पाई है। जिस कारण यूटीडीबी ने कंपनी के निदेशक को अनुबंधन समाप्त करने का नोटिस दिया है। इस कारण रोपवे का लटकने या इसमें देरी होने की अटकलें लगाई जा रही हैं।

902 मीटर लंबा बनेगा रोपवे
हनुमान चट्टी से काली मंदिर तक 902 मीटर रोपवे बनने से पांच किमी सड़क दूरी व तीन किमी पैदल चढ़ाई नहीं चढ़नी पड़ेगी। रोपवे को कंपनी ने अपने संसाधनों से तैयार करना है। अनुबंध के अनुसार बाद में संचालन भी कंपनी करेगी और सरकार को रायल्टी देगी।

कंपनी चाहती है दो वर्ष अवधि बढ़े
नोटिस के बाद कंपनी निदेशक ने यूटीडीबी के एसीईओ व अपर सचिव अभिषेक रुहेला को पत्र लिखकर परियोजना को पूरा करने के लिए दो वर्ष का अतिरिक्त समय मांगा है। कहा है कि रोपवे निर्माण के लिए वह गंभीर व रुचिकर हैं। नोटिस वापस लेने व परियोजना अवधि 31 मार्च तक बढ़ाने पर विचार करने का आग्रह किया है।

चीन की कंपनी से हुआ है अनुबंध
नोटिस के जवाब में कंपनी ने लिखा है देरी उनकी निष्क्रियता से नहीं, बल्कि उन कारणों से हुई जो उनके नियंत्रण से परे हैं। तकनीकी एजेंसियों से प्रारंभिक भूमि सर्वेक्षण में रोपवे के लिए चयनित जमीन कमजोर निकली। मिट्टी इतनी नरम थी कि प्रस्तावित परियोजना के ऊपरी टर्मिनल स्टेशन के आवंटित स्थान पर आने वाले भार को झेलना मुश्किल था।

क्षेत्र भूकंपीय दृष्टि से भी संवेदनशील है। रोपवे को केवल जमीनी हकीकत के आधार पर नहीं बनाया जा सकता था। कंपनी परियोजना के पुन: डिजाइन के लिए जरूरी प्रक्रिया शुरू कर चुकी है। चाइना मशीन-बिल्डिंग इंटरनेशनल कारपोरेशन के साथ अनुबंध किया है, जो रोपवे के लिए केबिनों का सेट की आपूर्ति व निर्माण करेगी। डिजाइन व सिविल इंजीनियरिंग में भी चीन की कंपनी सहयोग करेगी।

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