देहरादून, 27 जनवरी। देश के 76वें गणतंत्र दिवस में उत्तराखंड की झांकी को पहला पुरस्कार मिला है, जिसमें वन्यजीवों व धर्मस्थलों को दिखाया गया था।सेना के पंजाब रेजीमेंट को तीनों सेवाओं में सर्वश्रेष्ठ मार्चिंग टुकड़ी का खिताब दिया गया है। 26 जनवरी को कर्तव्य पथ पर पारंपरिक परेड के दौरान उत्तराखंड की झांकी में राज्य के वन्यजीवों को दिखाया गया है। अभी तक राजपथ के नाम से पहचाने जाने वाले मार्ग का इसी साल नाम बदलकर कर्तव्य पथ किया गया है। इस तरह कर्तव्य पथ पर उत्तराखंड की झांकी मानसखंड को प्रथम स्थान मिलने से इतिहास में उत्तराखंड का नाम दर्ज हो गया।
झांकी में देवदार के घने जंगलों से घिरे पौराणिक जागेश्वर धाम, कार्बेट राष्ट्रीय उद्यान, बारहसिंगा, उत्तराखंड का राज्य पशु कस्तूरी मृग, राष्ट्रीय पत्रक्षी मोर, घुघुती, तीतर, चकोर, मोनाल और कुमाऊं की प्रसिद्ध ऐपण कला को दिखाया गया था।झांकी के आगे और पीछे उत्तराखंड का नाम भी ऐपण कला से प्रदर्शित किया गया था। पिथौरागढ़ के जनकवि जनार्दन उप्रेती के लिखे गीत जय हो कुमाऊं, जय हो गढ़वाल को झांकी का गीत बनाया गया था।
गुजरात की झांकी लोकप्रियता में पहले स्थान पर
गुजरात की झांकी को लोकप्रियता की श्रेणी में पहले स्थान पर रखा गया है। महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश की झांकी क्रमश दूसरे और तीसरे नंबर पर रहीं। मंत्रालयों और विभागों की झांकियों में आदिवासी मंत्रालय की झांकी को सर्वश्रेष्ठ झांकी होने का गौरव हासिल हुआ है।
यूपी की झांकी में भगवान राम, अयोध्या के दीपोत्सव को दिखाया गया
यूपी की झांकी में भगवान राम और देवी सीता के वनवास से लौटने पर अयोध्या के लोगों द्वारा उनका स्वागत करते हुए दिखाया गया है। साथ ही दीपोत्सव के झलक की झांकी प्रस्तुत की गयी है। झांकी के किनारे वाले हिस्से में अयोध्या में सरयू नदी के तट पर राम की पैड़ी को दिखाया गया है। इसमें बनाया गया दीपोत्सव द्वार में महर्षि वाल्मिकी की एक प्रतिमा भी है। यूपी पिछले दो साल से परेड में सर्वश्रेष्ठ झांकी का पुरस्कार जीतता आ रहा था।