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अंतरराष्ट्रीय योग महोत्सव में परमार्थ निकेतन पहुंचे सीएम धामी, गंगा आरती में हुए शामिल

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ऋषिकेश, 9 मार्च। ऋषिकेश के परमार्थ निकेतन आश्रम में रविवार को सात दिवसीय अंतरराष्ट्रीय योग महोत्सव का आगाज हुआ। पहले दिन ब्रह्ममुहूर्त से योग की विधाओं की शुरुआत हुई। अमेरिका से आए योगाचार्य गुरुमुख कौर खालसा ने योग जिज्ञासुओं को कुंडलिनी साधना का अभ्यास कराया। महोत्सव में 50 से अधिक देशों के 1000 से अधिक योग जिज्ञासुओं ने योग, ध्यान, प्राणायाम और आयुर्वेद की विभिन्न विधाओं का अभ्यास किया। वहीं, शाम को सीएम धामी भी योग महोत्सव में पहुंचे और गंगा अरती में भी भाग लिया।

आश्रमाध्यक्ष स्वामी चिदानंद सरस्वती ने कहा कि योग, शिव और शक्ति का मिलन है, जिसमें शांति और प्रेम का मार्ग प्रशस्त होता है। योग की जन्मभूमि में आकर योग केवल शरीर का नहीं बल्कि आत्मा का भी होता है। उत्तराखंड तो पूरे विश्व ग्लोब को एकत्र करने व जोड़ने के लिए योग करता है। साध्वी भगवती सरस्वती ने कहा कि वैदिक परंपरा में हम मूल पाप में नहीं, बल्कि मूल दिव्यता में विश्वास करते हैं। योग हमें सत्य से जोड़ता है, क्योंकि यह शरीर, मन और आत्मा के बीच गहरा संतुलन स्थापित करता है। जब हम योग का अभ्यास करते हैं तो हम अपनी आंतरिक वास्तविकता को समझने लगते हैं। यह केवल शारीरिक अभ्यास नहीं, बल्कि आत्मिक उन्नति का मार्ग है।

महोत्सव में पहले दिन योगाचार्य आकाश जैन, योगाचार्य राधिका गुप्ता ने सूर्य नमस्कार के पांच तत्व, डॉ. योगऋषि विश्वकेतु ने हिमालयन श्वास प्राणायाम और सियाना शरमेन ने रसा योग, जिसमें करुणा के चक्र पर ध्यान केंद्रित किया गया। स्टुअर्ट गिलक्रिस्ट ने कुंडलिनी एक्सप्रेस, टॉमी रोजेन ने आध्यात्मिक आहार के प्राचीन रहस्य, आनंद मेहरोत्रा ने शक्ति जागरण की विशेषताएं बताईं। टॉमी रोजेन ने कहा कि नशा वह स्थान है जहां कुछ भी जुड़ा हुआ नहीं होता। लेकिन, योग वह स्थान है जहां सब कुछ जुड़ा हुआ है। योग ही नशा मुक्ति है। नशा मुक्ति ही योग है। दोनों एक दूसरे के बिना नहीं हो सकते।

आयुर्वेद सत्र में अमीषा शाह और डॉ. गणेश राव ने योग की समग्रता और इसके मानसिक, शारीरिक और आत्मिक संतुलन की महत्ता पर जानकारी दी। जोसेफ शमिडलिन ने गोंग बाथ-रिकवरी साउंड बाथ का अभ्यास कराया गया, जो प्रतिभागियों को आत्म-खोज और आंतरिक शांति की यात्रा पर ले गया। शाम को गंगा घाट पर गंगा आरती और संकीर्तन का आयोजन किया गया। इसमें कनाडा के तीसरी पीढ़ी के कीर्तन गायक गुरु निमत सिंह और भारत के प्रसिद्ध संगीतज्ञ सत्यानंद ने संकीर्तन किया।

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