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खाने पीने से लेकर पानी के बिलों में लाखों रुपए की हेराफेरी की गई

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नैनीताल। उत्तराखंड हाईकोर्ट ने क्रिकेट एसोसिएशन ऑफ उत्तराखंड (सीएयू) में हुई अनियमितताओं को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की। सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी व न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की खंडपीठ ने मामले को गंभीरता से लेते हुए अगली सुनवाई के लिए 9 नवंबर की तिथि नियत की है। अभी तक विपक्षियों द्वारा जवाब पेश नहीं करने पर खंडपीठ ने उनसे जवाब पेश करने को कहा है।
सुनवाई पर याचिकाकर्ता की तरफ से कहा गया कि मामले में चार्जशीट निचली अदालत में पेश हो चुकी है। परंतु आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई नहीं हुई और ना ही इनके द्वारा उच्च न्यायालय में जवाब पेश किया गया। इसपर कोर्ट ने विपक्षियों से जवाब पेश करने को कहा है। मामले के मुताबिक, देहरादून निवासी विकेश सिंह नेगी ने उच्च न्यायालय में जनहित याचिका दायर कर कहा कि 2019 के बाद क्रिकेट एसोसिएशन ऑफ उत्तराखंड में हुए चुनावों के बाद खिलाड़ियों के चयन के लिए उनसे रणजी व अन्य जगहों पर खेलने के लिए लाखों रुपए लिए गए। खिलाड़ियों के खाने पीने से लेकर पानी के बिलों में लाखों रुपए की हेराफेरी की गई। जैसे केलों का बिल 32 लाख, पानी का बिल 22 लाख रुपए। खिलाड़ियों को मानसिक रूप से प्रताड़ित किया जा रहा है, जिसकी वजह से खिलाड़ी अन्य राज्यों की तरफ से खेलने को मजबूर हो रहे हैं।
बोर्ड के पदाधिकारियों के खिलाफ अनियमितता व यौन शोषण के कई जगहों पर मुकदमे दर्ज हैं। घोटाले में लिप्त पदाधिकारियों द्वारा ट्रेजरार से फर्जी बिल बनाने के लिए दवाब बनाया गया। उनके मना करने पर उन्हें पद से ही हटा दिया गया। याचिकाकर्ता का कहना है कि मामले की जांच हाईकोर्ट के तीन रिटायर्ड जजों की निगरानी में कराई जाए और घोटाले में लिप्त पदाधिकारियों के चुनाव लड़ने पर प्रतिबंध लगाने के साथ ही उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए। बोर्ड को भंग कर इनकी जगह प्रशासक नियुक्त किया जाए।

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