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32 पदों की भर्तियों में वित्तीय अनियमितता विधानसभा सचिव मुकेश सिंगल को किया गया निलंबित।

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श्रेष्ठन्यूज़ देहरादून उत्तराखंड संपादक वन्दना रावत।

देहरादून। विधानसभा भर्ती घोटाले को लेकर शुक्रवार को विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूड़ी ने जांच समिति की संस्तुतियों को स्वीकार करते हुए बताया कि वर्ष 2016 से लेकर 2022 तक हुई 228 तदर्थ नियुक्तियों को निरस्त करने का शासन को प्रस्ताव  भेजा है। इसके अलावा उन्होंने उपनल से लगे 22 उपनल कर्मियों की नौकरियों को तत्काल प्रभाव से रद्द कर दिया है।
विधानसभा भर्ती घोटाले को लेकर लगातार जहां एक तरफ पूरे उत्तराखंड में सवाल किए जा रहे थे तो वहीं, विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूड़ी द्वारा विधानसभा भर्ती घोटाले पर गठित की गई 3 सदस्यीय जांच कमेटी की रिपोर्ट विधानसभा अध्यक्ष ने सार्वजनिक कर दी है।
शुक्रवार को मीडिया से बातचीत करते हुए ऋतु खंडूड़ी ने बताया कि उन्हें गुरुवार देर रात जांच कमेटी की 214 पन्नों की रिपोर्ट प्राप्त हुई। विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूड़ी ने बताया कि वर्ष 2016 में 150, 2020 में 6 और 2021 में 72 (कुल 228) तदर्थ नियुक्तियां हुई हैं। इनको तत्काल प्रभाव से निरस्त करने के लिए विधानसभा शासन को प्रस्ताव भेज दिया जाएगा। वहीं, इसके अलावा विधानसभा के माध्यम से वर्ष 2021 में आयोग के माध्यम से निकाली गई 32 पदों की भर्तियों में भी वित्तीय अनियमितता पाई गई हैं। इसके तहत विधानसभा सचिव मुकेश सिंगल को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया है। उन्हें पद से हटा दिया गया है। इसी एवज में विधानसभा में उपनल माध्यम से रखे गए 2021-22 के अन्य कर्मचारियों की तैनाती को भी तत्काल प्रभाव से निरस्त कर दिया गया है। सीएम पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूड़ी ने भाजपा सरकार की पारदर्शिता नीति पर काम करते हुए नियुक्तिां रद्द करने का निर्णय लिया है। निर्णय काबिले तारीफ है। उन्होंने कहा कि आगे होने वाली भर्तियां पारदर्शी और व्यवस्थित तरीके से हों, इसके लिए पूरा खाका तैयार किया जाएगा। आगे सभी भर्तियां नियम और नियमावली के तहत होंगी।

पूरी रिपोर्ट 214 पेज की है। लेकिन इसमे सलंग्नक भी शामिल हैं, जबकि केवल रिपोर्ट का अंश 29 पेज का है। समिति ने विधान सभा सचिवालय के रिकार्ड का परीक्षण करने पर यह पाया है कि वर्ष 2016 तक, वर्ष 2020 तथा वर्ष 2021 में जो तदर्थ नियुक्तियां की गयी उनमें अनियमितताए थीं तथा इन भर्तियों में विभिन्न पदों के लिये निर्धारित नियमों का पालन नहीं हुआ है। समिति ने विभिन्न न्यायालयों द्वारा नियम विरूद्ध भर्तियों के सम्बन्ध मे समय-समय पर दिये गये आदेशों का हवाला देते हुए अपनी रिपोर्ट में यह सिफारिश की है कि निम्नलिखित कारणों से नियमों के विरूद्ध की गयी इन तदर्थ नियुक्तियों को तत्काल प्रभाव से निरस्त कर दिया जाए। समिति ने वर्ष 2016 तक 150 तदर्थ नियुक्तियों, वर्ष 2020 में 06 तदर्थ नियुक्तियों तथा वर्ष 2021 में 72 तदर्थ नियुक्तियों की पहचान कर उन्हें निरस्त करने की सिफारिश की है। समिति ने इस संबंध में जो कारण बताए हैं, वह इस प्रकार है:
1 सेवा के विभिन्न पदों पर सीधी भर्ती के लिये निर्धारित चयन समिति का गठन नहीं किया गया। इस प्रकार यह तदर्थ नियुक्तियां चयन समिति के माध्यम से नहीं की गयी है।
2 तदर्थ नियुक्ति किये जाने हेतु कोई विज्ञापन नहीं दिया गया और न ही कोई सार्वजनिक सूचना दी गयी और न ही रोजगार कार्यालय से नाम मंगाये गये।
3 तदर्थ नियुक्ति किये जाने हेतु इच्छुक अभ्यर्थियों से आवेदन पत्र नहीं मांगे गये, केवल व्यक्तिगत आवेदन पत्रों पर नियुक्ति प्रदान कर दी गयी।
4 तदर्थ नियुक्ति किये जाने हेतु कोई प्रतियोगिता परीक्षा आयोजित नहीं की गयी ।
5 इन तदर्थ भर्तियों के लिये सभी पात्र एवं इच्छुक अभ्यर्थियों को समानता का अवसर प्रदान नही करके भारत के संविधान के अनुच्छेद-14 एवं अनुच्छेद-16 का उल्लंघन हुआ है ।

जाँच समिति ने अपनी रिपोर्ट में इस बात का भी उल्लेख किया है कि कार्मिक विभाग के 06 फरवरी, 2003 के शासनादेश द्वारा विभिन्न विभागों के अन्तर्गत तदर्थ/संविदा/नियत वेतन / दैनिक वेतन पर की जाने वाली नियुक्तियों पर रोक लगाई गयी है। उक्त 06 फरवरी, 2003 के शासनादेश में व्यवस्था उपबन्धित है कि श्रेणी ग तथा घ के किसी भी पद पर दैनिक वेतन / तदर्थ / संविदा / नियत वेतन पर नियुक्ति नहीं की जायेगी। इस प्रकार की नियुक्तियों पर पूर्ण रूप से प्रतिबंध रहेगा ।
विधान सभा अध्यक्ष के रूप में जांच समिति की अनुशंसा को स्वीकार करते हुए वर्ष 2016 तक की 150 तदर्थ नियुक्तियों को, वर्ष 2020 की 06 तदर्थ नियुक्तियों को तथा वर्ष 2021 की 72 तदर्थ नियुक्तियों को निरस्त करने का निर्णय लिया है।चूंकि इन तदर्थ नियुक्तियों को शासन का अनुमोदन प्राप्त है, अतः नियमानुसार इन तदर्थ नियुक्तियों को निरस्त करने के लिये शासन का अनुमोदन लेना आवश्यक है। इन नियम विरूद्ध तदर्थ नियुक्तियों को निरस्त करने के लिये अनुमोदन हेतु मैं शासन को तत्काल प्रस्ताव भेज रही हूँ। अनुमोदन प्राप्त होते ही नियम विरूद्ध तदर्थ नियुक्तियां तत्काल समाप्त कर दी जाएगी।इसी प्रकार उपनल द्वारा की गयी 22 नियुक्तियों को भी तत्काल प्रभाव से निरस्त कर रही हूँ ।
विधान सभा सचिवालय द्वारा वर्ष 2021 में 32 विभिन्न पदों पर सीधी भर्ती के लिये आवेदन पत्र मंगाये गये थे, जिसके लिये इस वर्ष 20 मार्च को लिखित परीक्षा भी आयोजित की गयी थी जिसका परिणाम अभी तक घोषित नहीं हुआ है। इस परीक्षा के लिये लखनऊ की एक प्राईवेट एजेंसी मैसर्स आर०एम०एस० टेक्नोसोल्यूशनस प्रा० लि० का चयन किया गया। इस एजेंसी के कार्यकलाप विवादों में रहे हैं और इस पर पेपरलीक के गंभीर आरोप भी लगे हैं जिसके चलते कम से कम 5 प्रतियोगिता परीक्षा शासन को रदद करनी पड़ी है और अनेक गिरफतारिया भी विधान सभा सचिवालय में नियमों/प्रावधानों का उल्लघंन करते हुए इस एजेंसी का चयन किया गया है इसमे अनेक वित्तीय अनियमितताए भी पायी गयी हैं । उपलब्ध जानकारी अनुसार इस एजेंसी को बिल प्राप्त होने के 02 दिन के अन्दर बैंक से 59 लाख रूपये का भुगतान भी जारी कर दिया गया जिसमें विधान सभा सचिव की भूमिका भी संदेहास्पद पायी गयी है।इस परिपेक्ष्य में विधान सभा अध्यक्ष के रूप में मैने यह निर्णय लिया है कि इन 32 पदों पर हुई परीक्षा को निरस्त किया जाता है तथा एजेंसी की भूमिका की जाँच की जाएगी तथा नियमानुसार

 

कार्रवाई की जाएगी। विधान सभा अध्यक्ष के रूप में मैने यह भी निर्णय लिया है कि इस पूरे प्रकरण में विधान सभा सचिव की संदिग्ध भूमिका की जांच की जाए। जांच पूरी होने तक मुकेश सिंघल को तत्काल प्रभाव से निलम्बित किया जाता है, तत्संबंधी आदेश जारी किये जा रहे है।जॉच समिति की रिपोर्ट में दी गयी विभिन्न सिफारिशों सुझावों पर कार्रवाई जारी रहेगी।

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