नई दिल्ली, 29 जनवरी। नीट पीजी की तैयारी कर रहे कैंडिडेट्स के लिए बड़ी खबर आई है। कुछ लोगों के लिए ये बुरी हो सकती है और कुछ के लिए अच्छी। दरअसल, पीजी मेडिकल एडमिशन में रिजर्वेशन के नियम पर सुप्रीम कोर्ट ने बेहद महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है। बुधवार, 29 जनवरी को सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि मेडिकल के पीजी कोर्सेस में डोमिसाइल के आधार पर प्रवेश दिया जाना गलत है। ये भारतीय संविधान के अनुच्छेद 14 (समानता का अधिकार) का उल्लंघन करता है।
नीट पीजी में डोमिसाइल कोटा खत्म क्यों?
मामले की सुनवाई कर रही तीन जजों की बेंच ने कहा, ‘हम सभी भारत के डोमिसाइल (निवासी) हैं। अलग से स्टेट डोमिसाइल जैसा कुछ नहीं है। यहां केवल एक ही डोमिसाइल है। वो ये कि हम सभी भारत के निवासी हैं। हमारे पास देश में कहीं भी अपना आवास चुनने का अधिकार है। स्वतंत्र होकर अपना पेशा चुनने का अधिकार है। हमारा संविधान भी हमें भारत में कहीं भी किसी भी शिक्षण संस्थान में दाखिला लेने का अधिकार देता है।’
MBBS में स्टेट कोटा होगा या नहीं?
अब जब नीट पीजी पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आया है, तो नीट यूजी पर भी सवाल उठ रहे हैं। लेकिन शीर्ष अदालत ने एमबीबीएस, बीडीएस जैसे कोर्स में एडमिशन के लिए डोमिसाइल बेस्ड रिजर्वेशन को कुछ हद तक उचित ठहराया है। लेकिन पीजी के मामले में कोर्ट का कहना है कि ‘ये विशेषज्ञ डॉक्टर बनाने वाले कोर्स हैं। इनमें स्पेशलाइजेशन और एक्सपर्टीज बेहद जरूरी है। ऐसे में निवास स्थान के आधार पर आरक्षण असंवैधानिक होगा।’
मौजूदा छात्रों का क्या होगा?
कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि लेटेस्ट जजमेंट उन स्टूडेंट्स पर लागू नहीं होगा जो पीजी मेडिकल कोर्स में दाखिला ले चुके हैं, पढ़ाई कर रहे हैं या फिर पास हो चुके हैं। इस फैसले से उनका भविष्य प्रभावित नहीं होगा।
नीट में डोमिसाइल कोटा क्या है?
मेडिकल में एडमिशन के लिए देश में एक ही प्रवेश परीक्षा होती है नीट। एमबीबीएस जैसे यूजी कोर्सेस के लिए NEET UG एग्जाम होता है और पोस्ट ग्रेजुएट कोर्सेस के लिए NEET PG की परीक्षा होती है। फिर सेंट्रल लेवल पर ऑल इंडिया कोटा (AIQ) के तहत 15 फीसदी सीटों पर काउंसलिंग होती है। बाकी की सीटों पर राज्य अपने स्तर पर काउंसलिंग कराते हैं। नीट स्टेट काउंसलिंग में स्टेट कोटा लागू होता है। यानी उस राज्य के रहने वाले छात्रों को आरक्षण मिलता है अगर उनके पास उस राज्य का डोमिसाइल है तो।