अल्मोड़ा। विधानसभा भर्ती मामले में बेरोजगार अपराधी नहीं हैं, उन्हें क्यूं सजा मिल रही है। पूर्व विधानसभा अध्यक्ष गोविंद सिंह कुंजवाल ने कहा कि अगर अवैध तरीके से नियुक्तियां हुई हैं तो नियुक्ति करने वालों पर कार्रवाई होनी चाहिए। अगर मैं अपराधी हूं तो मैं भी जेल जाने को तैयार हूं। अगर यह अवैध तरीकों से हुई हैं तो जब से विधानसभा में नियुक्ति हुई सब रद्द होनी चाहिए। पूर्व विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि बेरोजगार लगातार ही नौकरी के लिए भटक रहे थे।
बेरोजगारों को पता लगा कि विधानसभा में नियुक्तियां होने जा रही हैं, तो वह प्रयास कर नियुक्त हो गए। छह वर्ष तक उन्होंने कार्य किया। बर्खास्त कार्मिकों की योग्यता पर कोई शक नहीं है। किसी अधिकारी ने यह नहीं कहा कि आप योग्य नहीं हैं। उनसे पूरा कार्य लिया गया। इसके बाद उनकी नियुक्तियों को अवैध बताकर एक तरफा बर्खास्त की कार्रवाई की गई। इस पर सवाल यह है कि मामले में बेरोजगारों की कमी है या जिन्हें बर्खास्त किया उनकी या फिर जो नियुक्त करता है उसकी कमी है। सिर्फ नियुक्ति को अवैध तरीके से बताया गया है, तो नियुक्ति करवाने वालों पर कार्रवाई क्यूं नहीं की। हमने नियुक्ति का आदेश दिया। कुंजवाल ने कहा कि गलती कानूनी रूप से हमारी मानी जानी चाहिए थी। अगर वह अपराधी हैं तो वह जेल जाने को भी तैयार हैं। कहा कि जो सजा मिलती है वह भुगतने को तैयार हैं। जिस गलती की सजा बेरोजगार भुगत रहे हैं, उनमें बेरोजगारों की कोई गलती नहीं हैं। क्यूंकि वह खुद भर्ती नहीं हुए हैं, उन्हें किसी ने भर्ती किया है। तो भर्ती करने वालों पर क्यूं विधानसभा ने कार्रवाई नहीं की यह सवाल उठने चाहिए। इसके अलावा उन्होंने कहा कि विधानसभा ने जांच के लिए एक्सपर्ट कमेटी बनाई। कमेटी ने जो रिपोर्ट दी है उसमें साफ कहा है राज्य बनने के बाद आज तक विस में जितनी नियुक्ति हुई हैं वह सब अवैध हैं और यह सारी भर्ती एक ही प्रक्रिया से हुई है। इस तरह तो सभी नियुक्तियों को रद्द करनी चाहिए।
विधानसभा भर्ती मामले में बेरोजगार अपराधी नहीं हैं, उन्हें क्यूं सजा मिल रही है कुंजवाल
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