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देहरादून: नगर निगम की जांच में वार्डों में गठित स्वच्छता समिति के 100 कर्मचारी नदारद मिले हैं। हालांकि यह पूरी तरह से जांच के मामले में लीपा-पोती है। इसके बावजूद चलो, इस जांच को ही सही मान लें तो 100 कर्मचारियों को पिछले पांच साल से हर महीने 15 हजार रुपये के हिसाब से दिया जा रहा था तो एक साल का एक करोड़ 80 लाख और पाच साल का 9 करोड़ रुपये का घोटाला हुआ है। डीएम सोनिका ने भी इसे स्वीकार किया है। क्या घोटाला करने वाले पार्षदों के खिलाफ एफआईआर होगी और रिकवरी की जाएगी? देहरादून नगर निगम के घोटालों की उच्चस्तरीय जांच किये जाने की जरूरत है।
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