नई दिल्ली: पश्चिम बंगाल में दार्जिंलिंग के जलपाईगुड़ी के पास भयानक रेल हादसा हुआ है। इस रेल हादसे में कंचनजंगा एक्सप्रेस से एक मालगाड़ी भिड़ गई। इस भयानक रेल हादसे में 15 लोगों की मौत हो गई है। 60 लोग घायल हुए हैं। इस भयानक रेल हादसे में इंजन पर बोगियां तक चढ़ गई। वहीं कई बोगियां पटरी से भी उतर गई थीं। तस्वीरों में हवा में लहरा रही बोगियां देखी जा सकती हैं। हादसा इतना भयानक था, इसका अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि इंजन पर ट्रेन की बोगी चढ़ गई। तस्वीर में देखा जा सकता है, कि डिब्बा हवा में लहरा रहा है
इस रेल हादसे के बाद रेलवे पर कई सवाल उठ रहे हैं कि आखिर किसकी गलती की वजह से ऐसा हादसा हुआ है। किन कारणों से दो ट्रेनें एक ही ट्रैक पर आ जाती हैं। ऐसे में हम आपको बताते हैं कि आखिर रेलवे का ये सिस्टम कैसे काम करता है और किस तरह एक ट्रैक पर दो ट्रेनों को आने से रोका जाता है, जिसमें गलती की वजह से इस तरह के हादसों का सामना करना पड़ता है पश्चिम बंगाल और बिहार की सीमा के पास सोमवार को ट्रेन हादसा हुआ है। सियालदाह जा रही कंचनजंगा एक्सप्रेस (13174) को पीछे से मालगाड़ी ने टक्कर मार दी। टक्कर इतनी जबरदस्त थी कि कंचनजंगा एक्सप्रेस के तीन डिब्बे बेपटरी हो गए। ये हादसा रंगा पानी और निज बाड़ी के पास हुए हादसे में तीन बोगियां बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गईं। ट्रेन दुर्घटना में आठ लोगों की मौत की खबर है। जबकि 30 लोग घायल हुए हैं। इन्हें अस्पताल में भर्ती करवाया गया है। हादसे के बाद रेलवे की टीम जांच में जुट गई है।
इस रेल हादसे के बाद रेलवे पर कई सवाल उठ रहे हैं कि आखिर किसकी गलती की वजह से ऐसा हादसा हुआ है। किन कारणों से दो ट्रेनें एक ही ट्रैक पर आ जाती हैं। ऐसे में हम आपको बताते हैं कि आखिर रेलवे का ये सिस्टम कैसे काम करता है और किस तरह एक ट्रैक पर दो ट्रेनों को आने से रोका जाता है, जिसमें गलती की वजह से इस तरह के हादसों का सामना करना पड़ता है। दरअसल, रेलवे में हर ट्रेन और उसके रूट के हिसाब इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग सिस्टम सेट होता है, जिसकी वजह से हर ट्रेन अलग ट्रैक पर होती है और दुर्घटना की कोई संभावना नहीं होती है। लेकिन एक ट्रैक पर दो ट्रेनों की आपस में भिड़ने की वजह सिग्नल फाल्ट या इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग चेंज में कोई गलती होना होती है।
रेलवे ट्रेक में इलेक्ट्रिकल सर्किट इंस्टॉल लगाए जाते हैं। जैसे ही ट्रेन ट्रैक सेक्शन पर आती है, तो इस सर्किट के जरिए ट्रेन के आने का पता चलता है। ट्रेन के आने का पता चलने के साथ ही ट्रैक सर्किट इसकी जानकारी आगे फॉरवर्ड करता है और इसके आधार पर ईआईसी कंट्रोल सिग्नल आदि को कंट्रोल करता है। इस जानकारी के आधार पर ये सूचना दी जाती है कि अब ट्रेन को किस तरफ जाना है। कंट्रोल रुम के जरिए ही ट्रेन के रूट को तय कर दिया जाता है। दो पटरियों के बीच एक स्विच होता है, जिसकी मदद से दोनों पटरियां एक दूसरे जुड़ी हुई होती हैं। ऐसे में जब ट्रेन के ट्रैक को बदलना होता है, तो कंट्रोल रूम में बैठे कर्मचारी कमांड मिलने के बाद पटरियों पर लगे दोनों स्विच ट्रेन की मूवमेंट को राइट और लेफ्ट की तरफ मोड़ते हैं और पटरियां चेंज हो जाती हैं। लेकिन, अभी भी कई बार टेक्निकल कारणों से या फिर मानवीय गलती की वजह से ट्रैक चेंज नहीं हो पाता है और ट्रेन तय रूट से अलग ट्रैक पर चली जाती है। इसका नतीजा ये होता है कि वो ट्रेन उस ट्रैक पर आ रही ट्रेन से टकरा जाती है।