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38 माननीय ने किए थे पत्र पर संयुक्त हस्ताक्षर, कांग्रेसी निर्दलीय भी शामिल

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देहरादून। मंडी समिति देहरादून के पूर्व अध्यक्ष रविंद्र सिंह आनंद ने प्रेस क्लब में प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए 26 फरवरी 2024 को देहरादून में हुए विधानसभा सत्र जो कि गैरसेंण में प्रस्तावित था को गैरसेंण में न कराए जाने के पक्ष में लिखित पत्र को सार्वजनिक करते हुए 24 विधायकों के नामो का खुलासा किया।
प्रेस वार्ता के दौरान रविंद्र आनंद ने बताया कि उनके द्वारा 26 फरवरी 2024 को विधानसभा देहरादून के बाहर किए गए प्रदर्शन के उपरांत उन्होंने गैरसैंण में सत्र न कराए जाने वाले विधायकों एवं माननीय के नाम के खुलासे के लिए विधानसभा कार्यालय में आरटीआई लगाकर जानकारी मांगी परंतु प्रथम आरटीआई में जानकारी न देते हुए तथ्यों को छुपाने का प्रयास किया गया। तदुपरांत उन्होंने अपील की एवं मुख्यमंत्री कार्यालय सचिवालय में आरटीआई लगाकर के उक्त नाम को सार्वजनिक किए जाने को लेकर एक पत्र प्रेषित किया, जिसके जवाब में मुख्यमंत्री कार्यालय सचिवालय द्वारा जानकारी उपलब्ध कराई गई जिसमें केवल 24 विधायकों के नाम का ही खुलासा किया गया। जबकि सूत्रों के अनुसार कुल 38 विधायकों मंत्रियों एवं माननीयों के नाम इस पत्र में शामिल थे। लेकिन सरकार के इशारे पर 14 माननीयों के नाम अभी भी छुपाए जा रहे हैं ।

रविंद्र ने कहा कहीं इन 14 नाम में स्वयं मुख्यमंत्री जी का नाम शामिल तो नहीं है या कहीं इसमें विधानसभा अध्यक्ष का नाम शामिल तो नहीं है और वह कौन से मंत्री हैं जिनके नाम छुपाए जा रहे हैं ?

उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि उत्तराखंड की जनता के पैसे से बने गैरसैंण विधानसभा भवन में जो विधायक, मंत्री सत्र नहीं कराना चाहते वे उत्तराखंड की जनता के हितैषी नहीं हो सकते, वे उत्तराखंड की जनता के विरोधी हैं वे उत्तराखंड विरोधी हैं ।

उन्होंने कहा कि जब उत्तराखंड का निर्माण हुआ था तो सभी जानते थे कि यह पहाड़ी क्षेत्र है और पहाड़ के विकास के लिए ही पृथक राज्य की मांग उठी एवं आंदोलन के बाद राज्य बना परंतु विधायकों ने पहाड़ से पलायन कर देहरादून में अपने आवास निवास बना लिए एवं अपने बच्चों का लालन-पालन एवं ब्याह शादी आदि भी यही करने तक सीमित रह गए ।

आनंद ने कहा जो मंत्री, विधायक पहाड़ों में बर्फ और ठंड का हवाला देते हुए वहां पर जाने से डर रहे हैं अपने आप को पहाड़ी कहलवाने के लायक नहीं है उनको स्वयं को पहाड़ी नहीं कहना चाहिए क्योंकि असली पहाड़ी वह होता है जो पहाड़ में पैदा हुआ हो जिसे ठंड बर्फ आदि की आदत हो जो इससे डर कर मैदानी क्षेत्र में ना जाकर बस जाए।उन्होंने कहा पत्र पर हस्ताक्षर करने वाले मंत्री ,विधायक वही है जिन्होंने पलायन रोकने की बात कही जो स्वयं खुद पहाड़ नहीं चढ़ना चाहते वो पहाड़ों से पलायन रोकने की बात कैसे कर सकते हैं इन लोगों को पहाड़ विरोधी ना कहा जाए तो क्या कहा जाए यह लोग कभी भी पहाड़ के हितैषी नहीं हो सकते पलायन रोकने और पहाड़ का विकास करने जैसी बातें इन लोगों के मुंह से खोखली लगती है। अंत में उन्होंने कहा कि वह पहाड़ की पीड़ा को भली बाती समझते हैं एवं जल जंगल जमीन की लड़ाई सदैव लड़ते रहेंगे चाहे इसके लिए उन्हें किसी के भी विरुद्ध क्यों न जाना पड़े उन्होंने कहा कि यदि इसके लिए उन्हें उग्र आंदोलन भी करने पड़े तो वह पीछे नहीं हटेंगे । प्रेस वार्ता के दौरान वी के कपूर, जी एल सदाना, मुक्तेश हांडा, अंकुर वर्मा, नवीन सिंह चौहान आदि मौजूद रहे ।

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