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भर्ती घोटाला

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श्रेष्ठन्यूज़ देहरादून उत्तराखंड संपादक वन्दना रावत।

देहरादून। उत्तराखंड में सामने आये भर्ती घोटालों ने राज्य की राजनीति में ही भूचाल ला दिया है। इन भर्ती घोटालों को लेकर राज्य के युवा बेरोजगारों में भी सूबे के नेताओं के आचरण को लेकर भारी आक्रोश है तथा इन घोटालों की गूंज अब दिल्ली दरबार तक पहुंच चुकी है। भाजपा के शीर्ष नेताओं ने इस पर गहरी नाराजगी जताई है।
संविधान सम्मत ईमानदारी, निष्ठा और पारदर्शिता से काम करने की शपथ लेने वाले सूबे के नेताओं का जो चित्र और चरित्र भर्ती घोटालों में उभरकर सामने आया है उससे जन भावनाओं को भारी धक्का  लगा है लेकिन उससे ज्यादा हैरानी इस बात को लेकर है कि यह नेता पूरी र्निलज्जता के साथ अपने आप को सही ठहरा रहे हैं और एक दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगाकर यह कह रहे हैं कि ऐसा तो उनकी सरकार के कार्यकाल में हुआ था। उन्होंने अगर अपने परिजनों व नाते रिश्तेदारों को नौकरी दे दी तो कौन सा पाप कर दिया यह तो उनका संवैधानिक अधिकार है। दिल्ली से मिल रही खबरों के अनुसार भाजपा हाईकमान इस बात को लेकर नाराज है। सवाल यह नहीं है कांग्रेसी सरकार या नेताओं ने क्या किया सवाल यह है कि भाजपा नेताओं ने क्या किया और ऐसा क्यों किया? खबर यह भी है कि इससे पार्टी की छवि को जो नुकसान हुआ है उसका डैमेज कंट्रोल कैसे संभव है? इस पर भी मंथन हो रहा है।
राजनीतिक गलियारों में इस बात की चर्चा आम है कि यह भर्ती घोटालों का तूफान आसानी से शांत होने वाला नहीं है इस तूफान में कई बड़े-बड़े राजनीति के वटवृक्ष धराशाही हो जाएंगे। भर्ती घोटालों की यह आग कितनी फैलती है? और इस आग में कितने नेताओं और अधिकारियों के हाथ झुलसते हैं यह तो समय ही बताएगा लेकिन ऐसा जरूर प्रतीत होता है कि हरियाणा के पूर्व सीएम ओमप्रकाश चौटाला और बिहार के पूर्व सीएम लालू प्रसाद यादव की राह पर चलने वाले सूबे के नेताओं का हश्र भी अच्छा नहीं रहने वाला है।
उल्लेखनीय है कि ओपी चौटाला को भर्ती घोटाले में 10 साल की सजा हुई थी उनके ऊपर 1999-2000 में राज्य में 3000 से अधिक जूनियर बेसिक शिक्षकों की अवैध तरीके से भर्ती कराने का आरोप था। हरियाणा के तत्कालीन डायरेक्टर बेसिक शिक्षा अधिकारी संजीव शुक्ला ने उनके खिलाफ रिट दायर की थी। सीबीआई कोर्ट से उन्हें व उनके बेटे को 10-10 साल की सजा सुनाई गई थी जिसे हाईकोर्ट व सुप्रीम कोर्ट द्वारा भी बरकरार रखा गया था।
सवाल यह है कि उत्तराखंड में भी अब तक हुई तमाम भर्तियों में धांधली की बात जगजाहिर हो चुकी है। जरूरत है तो बस इन भर्तियों की सीबीआई जांच कराने की अगर ऐसा संभव हुआ तो यह निश्चित है कि सूबे के कई नेता और अधिकारी भी ओम प्रकाश चौटाला और लालू की तरह जेल की सलाखों के पीछे होंगे। जिन्हें लोग उत्तराखंड का महात्मा गांधी और उत्तराखंड रत्न बताते रहे हैं। यूकेएसएससी की सभी भर्तियां जांच के दायरे में है। जिनमें अब गिरफ्तारियां हो रही हैं। वह अभी पिक्चर का ट्रेलर भर है छोटी मछलियों को फंसाया जा रहा है सवाल यह है कि उन सफेदपोशों व अधिकारियों की बारी कब आएगी जिन्होंने पद का दुरुपयोग किया। सबका विकास सबका साथ का नारा देकर अपना विकास व सबका विनाश किया।

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