Advertisement Section

कांग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी तीन दिन की धार्मिक यात्रा पर केदारनाथ धाम पहुंच

Read Time:3 Minute, 47 Second
देहरादून। पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव का प्रचार चरम पर है वहीं दूसरी ओर कांग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी तीन दिन की धार्मिक यात्रा पर केदारनाथ धाम पहुंच गए हैं। उनकी इस यात्रा को चुनाव प्रचार से उनके पलायन के रूप में देखा जा रहा है। प्रचार युद्ध में भाजपा के सामने लगभग घुटने टेक चुकी कांग्रेस अब ‘सॉफ्ट हिन्दुत्व’ का कार्ड खेलने की फिराक में है। लेकिन राहुल गांधी को केदारनाथ में देखकर श्रद्धालुओं और स्थानीय लोगों ने जमकर मोदी–मोदी के नारे लगाए। इससे साफ है कि चुनाव से ऐनपूर्व राहुल गांधी के सॉफ्ट हिन्दुत्व के प्रपंच को जनता सिरे से खारिज कर रही है।
  प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भगवान शिव के अनन्य भक्त हैं। केदारनाथ धाम से उनकी गहरी आस्था जुड़ी हुई है। भगवान शिव के प्रति उनकी अगाध श्रृद्धा का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि प्रधानमंत्री बनने के बाद वह अभी तक छह बार (3 मई 2017, 20 अक्तूबर 2017, 7 नवंबर 2018, 18 मई 2019, 5 नवंबर 2021 और 21 अक्टूबर 2022) केदारनाथ धाम की यात्रा पर आ चुके हैं। वह हर साल केदारनाथ धाम की शरण में आते हैं सिर्फ 2020 में कोरोना प्रकोप के चलते वह केदारनाथ धाम की यात्रा पर नहीं आ सके थे। इसके अलावा मोदी देश और विदेश में हिन्दुओं के धार्मिक स्थलों में पूजा अर्चना करते रहे हैं। अब तक भाजपा के हिन्दुत्व प्रेम पर कटाक्ष करने वाले राहुल अब प्रधानमंत्री मोदी की राह पर चलने का प्रयास कर रहे हैं। वह अपनी तीन दिवसीय यात्रा पर रविवार को केदारनाथ धाम पहुंचे लेकिन उनकी कोशिशों पर उस वक्त पलीता लग गया जब केदारनाथ में पहुंचते ही राहुल गांधी को देखकर लोग मोदी-मोदी के नारे लगाने लगे। सवाल यह है कि जब पांच राज्यों में चुनाव का प्रचार चरम पर है तो ठीक उसी वक्त राहुल ने केदारनाथ धाम की तीन दिन की यात्रा का लम्बा कार्यक्रम क्यों बनाया। क्या हर बार ही तरह राहुल ने इस बार भी चुनावी प्रचार में ताकत झोंकने के बजाए पलायन किया है।
  दरअसल, हर बार राहुल गांधी चुनाव प्रचार के वक्त कभी विदेश तो कभी अन्य स्थानों की यात्रा पर चले जाते हैं। वो स्टार प्रचारक के रूप में जिम्मेदारी उठाने से भागते रहे हैं। उनका फण्डा यह है कि कांग्रेस जीत गई तो वह जीत का श्रेय खुद ले लेंगे और हार गई तो उनकी जवाबदेही तय नहीं होगी। इससे पहले कर्नाटक और हिमाचल प्रदेश के चुनाव में भी राहुल प्रचार से नदारद थे। जबकि प्रियांका मोर्चे पर डटी रही।
Happy
Happy
0 %
Sad
Sad
0 %
Excited
Excited
0 %
Sleepy
Sleepy
0 %
Angry
Angry
0 %
Surprise
Surprise
0 %
Previous post जो कार्य मुख्यमंत्री की घोषणा में आ गये हैं वे स्वतः ही जनहित की दृष्टि से अत्यन्त महत्वपूर्ण हो गए श्रीमती राधा रतूड़ी
Next post प्रदेश के एक दर्जन राजकीय चिकित्सालयों को 300 एमए की एक्सरे मशीनें उपलब्ध कराई