श्रेष्ठन्यूज़ देहरादून उत्तराखंड ।
देहरादून इस बार फिर से चुनाव लड़ रहे विधायकों का भीतरघात का रोना थम नहीं रहा है। चार प्रत्याशी खुलेआम आरोप लगा चुके हैं तो मतगणना से एक सप्ताह पहले किच्छा विधायक राजेश शुक्ला ने भी भाजपा के बड़े लोगों पर निर्दलीयों को चुनाव जिताने का आरोप लगाया है। ऐसे में सवाल यह भी खड़ा हो रहा है कि यह रोना रोकर क्या विधायक अपनी हार को स्वीकार कर रहे हैं।
किच्छा विधायक राजेश शुक्ला ने मीडिया से बातचीत में कहा कि चुनाव में भाजपा के बड़े नेताओं ने निर्दलीय प्रत्याशी की मदद की। उनका कहना था कि किच्छा में भी बागी प्रत्याशी मैदान में था। ऊंचे पदों पर बैठे पार्टी के ही कुछ लोगों ने इस बागी प्रत्याशी का सपोर्ट किया। गौरतलब है कि किच्छा के बागी प्रत्याशी अजय तिवारी को जिले के ही एक काबीना मंत्री का खासा नजदीकी माना जाता है। ऐसे में शुक्ला का इशार इसी मंत्री की ओर बताया जा रहा है।
यहां बता दें कि इससे पहले विधायक संजय गुप्ता, विधायक कैलाश गहतोड़ी, विधायक हरभजन सिंह चीमा और काबीना मंत्री बिशन सिंह चुफाल भी इसी तरह से सार्वजनिक आरोप लगा चुके हैं। विधायक संजय ने तो प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक का साफ तौर पर नाम भी लिया था। अहम बात यह भी है कि प्रदेश भाजपा नेतृत्व इन आरोपों पर मौन साधे हुए है। सूत्रों का कहना है कि भाजपा नेतृत्व को फिलहाल 10 मार्च को आने वाले नतीजों का इंतजार है। उसके बाद ही भीतरघात के आरोपों पर कोई बात होगी। इधर, विधायकों के भीतरघात के आरोपों को सार्वजनिक करने से एक सवाल यह भी उठ रहा है कि क्या ये रोना इनकी खुद की हार की स्वीकारोक्ति है। ताकि नतीजों के बाद ये कह सकें कि उन्होंने तो पहले ही कहा था कि बड़े नेताओं ने पार्टी के साथ विश्वासघात किया है।