जिला महामंत्री नरेंद्र सिंह देव ने बताया सरकार द्वारा पत्रकारिता एवं जनसंचार जैसे विशेषज्ञता वाले विषय पर सरकारी नौकरियों के दरवाजे न खोलने पर दुःख जताया।
उन्होंने कहा उत्तराखंड का सूचना एवं लोक सम्पर्क विभाग इसका सबसे बड़ा उदाहरण है। यहां जिला सूचना अधिकारियों की लम्बे समय से कमी बनी हुई है। सरकार इन पदों में भर्ती के लिए हिन्दी साहित्य विषय की पात्रता रखी है। जबकि विकल्प के रूप में पत्रकारिता में डिप्लोमा शामिल किया गया है। होना ये चाहिए था कि पत्रकारिता एवं जनसंचार विषय में स्नातक या परास्नातक इन पदों के लिए पात्रता होनी चाहिए थी। साथ ही जिला सूचना अधिकारी बनने के लिए अभ्यर्थियों को पीसीएस स्तर की परीक्षा देनी होती है। सरकार को इस व्यवस्था को बदलते हुए डीआईओ भर्ती के लिए पत्रकारिता एवं जनसंचार में यूजी या पीजी विषय की अनिवार्यता एवं भर्ती प्रक्रिया में शिथिलता लानी होगी।