देहरादून। कांग्रेस के राज्यसभा सदस्य प्रदीप टमटा का कार्यकाल समाप्त होने जा रहा है एसे में भाजपा इस सीट पर पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत या रेल मंत्री पीयूष गोयल को राज्यसभा भेजना चाहती है, हालांकी पार्टी ने हाइकमान को इस सीट के लिये दस लोगों के नाम पेनल में भजे हैं इनमें संगठन का लंबा अनुभव रखने वाले ज्योती गैरोला का नाम भी शामिल है लेकिन माना जा रहा है कि त्रिवेंद्र रावत या पियूष गोयल में से ही किसी एक नाम पर मुहर लग सकती है।
उत्तराखंड से राज्यसभा में तीन सीटें हैं इनमें कांग्रेस के प्रदीम टमटा का कार्यकाल समाप्त होने जा रहा है, भाजपा के पास प्रदेश में वर्तमान में 47 विधायक हैं एसे में तय है कि पार्टी जिसे भी अपना प्रत्याशी घोषित करेगी उसकी जीत तय है। चार वर्षों तक उत्तराखंड के मुख्यमंत्री रह चुके त्रिवेंद्र सिंह रावत को पार्टी ने विधानसभा का टिकट नहीं दिया था। उनकी परमपरागत सीट पर उनके खास सिपहसालार एवं युवा तुर्क नेता बर्जभूषण गैरोला को टिकट दिया गया था तब इस सीट को त्रिवेंद्र रावत की प्रतिष्ठा से भी जोड़ा जा रहा था। गैरोला की लोकप्रियता और त्रिवेंद्र रावत की जीतोड़ महनत से भाजपा ने इस सीट पर रिकॉर्ड 29 हजार से अधिक वोटों से जीत हासिल की थी तबसे माना जा रहा था कि त्रिवेंद्र रावत को पार्टी बड़ी जिम्मेदारी दे सकती है। अब राज्यसभा की सीट रिक्त होने कि स्थिति में उन्हें राज्यसभा भेजने की चर्चा तेज है। हालांकी पहले यह भी माना जा रहा था कि भाजपा विजय बहुगुणा को भी राज्यसभा भेज सकती है लेकिन उनके बेटे को उत्तराखंड में मंत्री बनाने के बाद से इस चर्चा पर विराम लग गया था एसे में त्रिवेंद्र रावत ही उत्तराखंड से राज्यसभा के लिये बड़ा चेहरा हैं हालांकि रेल मंत्री पीयूष गोयल के नाम की चर्चा ने जरूर रावत के रास्ते में अड़ंगा पैदा कर दिया है।
पार्टी कार्यकर्ताओं का दबाव है कि स्थानिय व्यक्ति को ही राज्यसभा भेजा जाये इसी लिये प्रदेश नेतृत्व ने त्रिवेंद्र रावत के साथ ही पूर्व महामंत्री संगठन ज्योती गैरोला, महामंत्री कुलदीप कुमार, अनुसूचित जाती आयोग की राष्ट्रीय सदस्य स्वराज विद्वान, पूर्व विधायक आशा नौटियाल, श्यामवीर सैनी, कल्पना सैनी, केदार जोशी के नाम भी पेनल में भेजे हैं।
भाजपा ने भले ही पैनल में दस नाम भेजे हैं लेकिन इसे औपचारिकता भर माना जा रहा है। मुख्य दौड़ त्रिवेंद्र रावत और पीयूष गोयल के बीच ही है। पार्टी हायकमान की पसंद भी पीयूष गोयल बताई जा रही है। अगर उत्तराखंड से बड़ा विरोध सामने नहीं आया और पीयूष गाेयल के लिये किसी दूसरे प्रदेश से राज्यसभा में जाने का रास्त नहीं बनता है तो उनके नाम पर मुहर लगनी तय मानी जा रही है, हालांकि त्रिवेंद्र रावत का पक्ष भी कमजोर नहीं है, ग्रह मंत्री अमित शाह के भी त्रिवेंद्र रावत नजदीकी हैं विधानसभा चुनाव के दौरान भी उन्हें टिकट न देकर आशवस्त किया गया था कि उन्हें जल्द ही एडजस्ट किया जायेगा अब देखना है कि पार्टी उBन्हें एडजस्ट करती है या फिर कांग्रेस के रास्ते पर चलकर किसी बाहरी व्यक्ति को राज्यसभा भेजती है।भारतीय जनता पार्टी ने राज्यसभा के लिए अपने पैनल में उत्तराखंड से 10 नाम हाईकमान को भेजें हैं। जिनमें पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत (Ex CM Trivenrdara Singh Rawat) के साथ ही केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल (Piyush Goyal) का नाम भी शामिल है। राज्य के सियासी हलकों में माना जा रहा है कि पार्टी इसबार पीयूष गोयल को राज्यसभा भेजने की तैयारी में है।अगले महीने 4 जुलाई को कांग्रेस के राज्यसभा सांसद प्रदीप टम्टा ( Pradeep Tamta) का कार्यकाल पूरा हो रहा है। चुनाव आयोग ने 10 जून को मतदान की तारीख तय की है। 31 मई को नामांकन का आखिरी दिन है। इसके लिए भारतीय जनता पार्टी ने 10 नामों का पैनल बनाकर शीर्ष नेतृत्व को भेजा है। पैनल में विजय बहुगुणा (Vijay Bahuguna) का नाम शामिल नहीं है।
बीजेपी के पैनल में पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत, प्रदेश महामंत्री कुलदीप कुमार, पूर्व उपाध्यक्ष ज्योति प्रसाद गैरोला, भाजपा अनुशासन समिति के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष केदार जोशी अल्पसंख्यक आयोग की अध्यक्ष कल्पना सैनी, भाजपा ओबीसी मोर्चा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष श्यामवीर सैनी, पूर्व विधायक आशा नौटियाल, राष्ट्रीय एससी-एसटी आयोग की पूर्व सदस्य स्वराज विद्वान के नाम शामिल हैं।
राज्य विधानसभा में संख्या बल के लिहाज से इस सीट के भाजपा के खाते में जाना तय माना जा रहा है। विधानसभा में 46 सीटे भाजपा, 19 कांग्रेस, दो बसपा और सीटें निर्दलीयों के पास हैं। इनमें दो निर्दलीय भी भाजपा के साथ हो सकते हैं। ऐसे में उत्तराखंड की तीसरी राज्यसभा सीट भी बीजेपी के हिस्से हो सकती है।
राज्यसभा चुनाव को लेकर सबसे बड़ी बात ये कि पार्टी ने पैनल में भले ही उत्तराखंड के नेताओं के नाम शामिल किए हों, लेकिन तैयारी पीयूष गोयल को राज्यसभा भेजने की बताई जा रही है। बता दें कि केंद्रीय वाणिज्य मंत्री और राज्यसभा में नेता सदन पीयूष गोयल का कार्यकाल भी जुलाई में ही समाप्त हो रहा है। ऐसे में पार्टी उन्हें उत्तराखंड से राज्यसभा भेज सकती है। वहीं, पूर्व सीएम विजय बहुगुणा का नाम इसबार भी राज्यसभा के लिए तय नहीं हुआ है। पैनल में उनका नाम शामिल नहीं है। बताया जा रहा है कि ऐसा उनके पुत्र सितारगंज विधायक सौरभ बहुगुणा के राज्य कैबिनेट में होने के चलते हुआ है।