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राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (से नि) एडवाजरी बोर्ड के होगे अध्यक्ष

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देहरादून श्रेष्ठन्यूज़ संपादक वन्दना रावत

शास्त्रीय गीत-संगीत, नृत्य, कला, संस्कृति विशेषकर उत्तराखण्ड की स्थानीय ललित कलाओं के संरक्षण एवं संवर्धन हेतु एक एडवाजरी बोर्ड का गठन राजभवन में किया जा रहा है। राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (से नि) इस लगभग 15 सदस्यों वाले एडवाजरी बोर्ड के अध्यक्ष होगे। एडवाजरी बोर्ड के सदस्यों में राज्य विश्वविद्यालयों, प्रतिष्ठित निजी विश्वविद्यालयों के कुलपति, उत्तराखण्ड के सामाजिक, शैक्षिणक एवं अन्य विभिन्न क्षेत्रों की प्रतिष्ठित हस्तियाँ सम्मिलित की जाएगी।  एडवाजरी बोर्ड द्वारा उत्तराखण्ड के परम्परागत गीत-संगीत, नृत्य, संस्कृति, विरासत एवं कलाओं के संरक्षण एवं ललित कलाओं का बच्चों एवं युवाओं में प्रचार प्रसार को प्राथमिकता दी जाएगी। राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (से नि) ने मंगलवार को राजभवन में इस सम्बन्ध में प्रतिष्ठित सांस्कृतिक संस्था स्पिक मैके के पदाधिकारियों के साथ इस एडवाजरी बोर्ड की कार्ययोजना के सम्बन्ध में एक विस्तृत बैठक की।
 राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (से नि) ने कहा कि उत्तराखण्ड के पहाड़ी जिलों, दूरदराज के इलाकों में रहने वाले बच्चों को भी शास्त्रीय गीत-संगीत, नृत्य एवं विविध कलाओं का प्रशिक्षण आसानी से प्राप्त होना चाहिए। राज्यपाल ने कहा कि ललित कलाओं के माध्यम से राज्य के ज्वलंत मुद्दों जैसे रिवर्स माइग्रेशन, महिला सशक्तीकरण, स्थानीय संस्कृति के संरक्षण का संदेश जनमानस तक पहुंचना चाहिए। राज्यपाल  गुरमीत सिंह (से नि)  ने कहा कि राजभवन के इस एडवाजरी बोर्ड द्वारा उत्तराखण्ड के सांस्कृतिक, धार्मिक विरासतों, पारम्परिक नृत्यों, संगीत और विविध कलाओं पर शोध-अनुसंधान (आर एण्ड डी) को प्राथमिकता से प्रोत्साहित किया जाएगा। उल्लेखनीय है कि इस एडवाजरी बोर्ड की बैठक वर्ष में तीन बार आयोजित की जाएगी।  इस दिशा में शास्त्रीय संगीत व नृत्य का एक सम्मेलन राजभवन में आयोजित किया जाएगा । इस सम्मेलन में देश के प्रतिष्ठित शास्त्रीय गायक, संगीतकार, नर्तक तथा राज्य के प्रत्येक जिले से 20-20 स्कूली बच्चों को निमंत्रित किया जाएगा।  राज्यपाल ने कहा कि भारत की 2500 वर्ष पुरानी परम्पराएं, संस्कृति, कलाएं तथा सभ्यता अत्यन्त समृद्ध एवं गौरवशाली रही हैं। यह प्रसन्नता का विषय है कि हम अब अपनी समृद्धशाली संस्कृति, सभ्यता और परम्पराओं की और पुनः लौट रहे हैं। राज्यपाल ले ज गुरमीत सिंह (से नि ) ने कहा कि गीत, संगीत, नृत्य जैसी ललित कलाओं के माध्यम से सोच-विचार के क्षेत्र में क्रान्ति की जानी चाहिए। कलाओं के माध्यम से सामाजिक संदेशों को आम जनमानस तक पहुंचाया जाना चाहिए। बच्चों में राष्ट्रीयता, देशभक्ति और देशसेवा की भावना का विकास भी कलाओं के माध्यम से किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि उत्तराखण्ड सांस्कृतिक दृष्टि से एक समृद्ध राज्य है। यहाँ की लोक संस्कृति व कलाएं  अद्वितीय है। उत्तराखण्ड की सांस्कृतिक धरोहरों एवं कलाओं के संरक्षण हेतु राज्य की नई पीढ़ी को पहल करनी चाहिए।सोशल मीडिया, मास मीडिया के माध्यम से इनका प्रचार-प्रसार किया जाना चाहिए।
बैठक में स्पिक मैके संस्था से श्रीमती रूपिन्द्र महेन्द्रू, श्रीमती अंजलि, श्री अभिषेक तथा अन्य पदाधिकारी उपस्थित थे।

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