देहरादून। हिंदी पत्रकारिता दिवस के उपलक्ष्य में संजय ऑर्थोपीडिक, स्पाइन एण्ड मैटरनिटी सेंटर दून विहार, जाखन, राजपुर रोड, देहरादून में एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम के अध्यक्ष पद्मश्री डाॅ. बी. के. एस. संजय ने कहा कि विधायिका, कार्यपालिका एवं न्यायपालिका के बाद पत्रकारिता को देश का चैथा स्तंभ माना जाता है। पत्रकारिता का सबसे पहला उद्देश्य होना चाहिए कि पत्रकार निष्पक्ष हो और निर्भीक हो लेकिन आज पत्रकारिता कुछ हद तक व्यापार के सिद्धांत पर चल रही है। यदि व्यक्ति निर्भीक नहीं तो वह निष्पक्ष नहीं हो सकता है। पत्रकारिता एक ऐसा क्षेत्र है कि आप एक सूचना या समाचार ही नहीं दे रहे बल्कि एक समाज में बदलाव ला रहे हैं। आप सूचनाओं से लोगों के विचार बदलेंगे क्योंकि विचार ही किसी कार्य के प्रथम स्रोत होते हैं।
सीखने के तीन ही तरीके हैं सुन के, देख के और कर के। जैसा समाज में साहित्य होगा वैसे ही लोग सुनेंगें, देखेंगे और करेंगे। मेरा मानना है समाज में यदि किसी तरह का बदलाव लाना है तो वह किसी भी व्यक्ति, समाज या देश के विचारों में बदलाव लाना होगा। उन्होंने कविता के माध्यम से कहा समय, समझ और परिस्थितियां परिवर्तनशील हैं। समय बदलने पर परिस्थितियां बदलती हैं और परिस्थितियां बदलने से निर्णय बदलते हैं। डाॅ. संजय ने कहा कि पत्रकारों एवं साहित्यकारों को दूसरों को सीख देने का अधिकार हैै क्योंकि यह लोग समाज के लिए एक अभिभावक की भूमिका निभातेे हैं और समाज के भविष्य का गठन करने में अपना महत्वपूर्ण योगदान देते हैं। कार्यक्रम का आयोजन संयुक्त रूप से गौरवांजली ट्रस्ट एवं भारत विकास परिषद् के द्वारा किया गया। कार्यक्रम के दौरान ‘विराट कवि सम्मेलन‘ एवं ‘पत्रकार सम्मान समारोह‘ का आयोजन किया गया जिसमें स्थानीय कवियों के अलावा दिल्ली, चण्डीगढ़, उत्तर प्रदेश से आए हुए कवियों ने काव्यपाठ किया।