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एक कुर्सी-दो अधिकारी! शासन के एक आदेश से फंसा पेंच, महीनेभर बाद भी वही स्थिति

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देहरादून, 31 अगस्त। प्रदेश में नौकरशाही का क्या हाल है इसका अंदाजा बीकेटीसी (बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति) के सीईओ पद को लेकर शासन के आदेश से लगाया जा सकता है. एक महीने से ऊपर हो गया है कि लेकिन सीईओ पद को लेकर उलझन की स्थिति जस की तस बनी हुई है. दरअसल, शासन ने बीकेटीसी के सीईओ पद पर जिस अधिकारी विजय प्रसाद थपलियाल की तैनाती की है, उनको उनके मूल विभाग (कृषि उत्पादन मंडी समिति) ने एनओसी नहीं दी, लेकिन बीकेटीसी के सीईओ पद पर तैनाती दे दी. हैरानी की बात ये है कि पूर्व सीईओ को भी पद से मुक्त नहीं किया गया है. अब स्थिति ये है कि बीकेटीसी के सीईओ पद पर दो अधिकारी नियुक्त हैं.

कुर्सी और पद एक और अधिकारी दो
दरअसल, समस्या ये है कि साइनिंग अथॉरिटी पहले वाले सीईओ योगेंद्र सिंह के पास है और वो अब दफ्तर नहीं आ रहे हैं, क्योंकि उनकी कुर्सी यानी उनके पद पर कोई और अधिकारी तैनात हो गया है. शासन के इस आदेश से बीकेटीसी के कर्मचारियों की नींद उड़ी हुई है. क्योंकि सभी कर्मचारियों को वेतन-भत्ते पुराने सीईओ के साइन के बिना रिलीज नहीं होंगे. पुराने सीईओ न तो ऑफिस आ रहे और न ही उन्हें पद से हटाया गया है. ऐसे में बीकेटीसी बड़ी दुविधा में है.

क्या कहता है नियम?
इस बारे में जब बदरी-केदार मंदिर समिति के अध्यक्ष अजेंद्र अजय से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि बीकेटीसी सेवा नियमावली बन चुकी है. इस सेवा नियमावली में सीईओ के पद के लिए क्या कुछ योग्यता होनी चाहिए, क्या क्वालिफिकेशन होनी चाहिए और किस तरह का अनुभव होना चाहिए, यह स्पष्ट है. हालांकि, शासन की तरफ से की बीकेटीसी सीईओ की नियुक्ति पर उन्होंने ज्यादा कुछ नहीं कहा और मामला शासन के पाले में डाल दिया.

शासन का जवाब
वहीं, इस बारे में जब धर्मस्व सचिव हरीश सेमवाल से बात की गई तो उन्होंने भी गोलमोल जवाब दिया. हरीश सेमवाल ने कहा कि बीकेटीसी के सीईओ के पद पर पिछले अधिकारी ने नौकरी छोड़ दी थी. इसलिए एक अधिकारी को उनका प्रभार दिया गया था. अब इस पद पर नई नियुक्ति की गई है.

वहीं, जब सेवा नियमावली और योग्यता पर सवाल पूछा गया तो उन्होंने स्पष्ट कह दिया कि नियम बनाने वाले भी वही हैं और नियुक्ति करने वाले भी. उन्होंने राज्य गठन से लेकर के अब तक के तमाम इस तरह की नियुक्ति को लेकर के कहा कि मंदिर समिति के सीईओ की नियुक्ति को लेकर इस तरह के आदेश पहले से होते आए हैं.

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