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आध्यात्मिक एवं सामाजिक संगठन ‘भाग्योदय फाउंडेशन’ एकलव्य का अंगूठा

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देहरादून श्रेष्ठ न्यूज़ वंदना रावत – एकलव्य का अंगूठा : भ्रांति निवारण

झूठा आरोप गुरु द्रोणाचार्य पर आरोप लगाया जाता है। वामपंथी और मूढ़जन द्वारा लगाए उन आरोपों का खंडित वर्णन निम्नानुसार करता हूँ

जो लोग तीरंदाजी का अभ्यास करते हैं, वे यह बात भलीभाँति जानते हैं कि बाण चलाने में दाहिने हाथ के अँगूठे का उपयोग नहीं किया जाता। यदि अँगूठे और अँगुली की सहायता से बाण पर पकड़ बनाकर छोड़ा जाये तो बाण कभी भी सही निशाने पर नहीं लगेगा ।
चित्र में भी यह बात साफ साफ देखी जा सकती है। एक कथा के अनुसार गुरु द्रोणाचार्य ने एकलव्य से दाहिने हाथ का अँगूठा दक्षिणा में माँगा था। इस कथानक को न समझने वाले और धनुर्विद्या से पूर्णतः अनभिज्ञ लोग कहते हैं कि द्रोणाचार्य ने एकलव्य के साथ ऐसा न किया होता तो वह अर्जुन से भी श्रेष्ठ धनुर्धर हो जाता। ऐसे अज्ञानी लोग भारतीय संस्कारों और गुरु-शिष्य परम्परा की पवित्रता और महत्ता को नहीं जानते।

सच्चाई यह थी कि गुरु द्रोणाचार्य ने जब यह देखा कि एकलव्य जिसने उन्हें अपना मानस गुरु बना रखा है , और सही विधि को न जानकर धनुष बाण चला रहा है, जिस कारण वह श्रेष्ठ धनुर्धर नहीं बन पायेगा और गुरु का नाम भी खराब करेगा, तब गुरु द्रोणाचार्य ने दक्षिणा में उसके अँगूठे को माँगा, अर्थात् दाहिने हाथ के अँगूठे के उपयोग को धनुष बाण संचलन में वर्जित किया।

विश्व में अनेक आदिवासी स्थान हैं, वहाँ पहुँचकर कोई भी देख और सीख सकता है कि धनुष बाण कैसे चलाया जाता है। आइए, इस भ्रांति को निर्मूल करें तथा गुरुजनों व ब्राह्मणों एवं हमारे अनुसूचित वर्ग के स्वजनों के बीच अनावश्यक बन गई दुर्भाग्यपूर्ण खाई को पाटने में सहयोगी बनें। इस पोस्ट को अधिकाधिक लोगों तक पहुंचाएं।

आध्यात्मिक एवं सामाजिक संगठन ‘भाग्योदय फाउंडेशन’ इसके लिए आपका आभारी रहेगा।

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