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महिलाओं की भागीदारी सेना को और अधिक मजबूती प्रदान करेगी

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श्रेष्ठन्यूज़ देहरादून उत्तराखंड संपादक वन्दना रावत।

देहरादून। भविष्य की उन्नति के लिए आज से कार्य करना हमारे लिए सफलता के रास्ते खोलता है इसी सर्न्दभ में महिलाओं की भागीदारी को हम भूल नहीं सकते। कुछ संस्थान निरन्तर प्रयासरत है, अपने प्रयासो को आगे बढ़ाते हुए महिलाओं के भागीदारी को भारतीय सेना में उनका सफल योगदान दिया जाना चाहिए पर ध्यान देते हुए साथ ही सम्बन्धित के लिए प्रयास कर रहे है। महिलाओं के प्रति बड़ते अपराधो को ध्यान में रखते हुए सेना में महिलएओं का प्रतिभागी बनना काफि एवं भारतीय महिलाओं को सेना के लिए प्रोत्साहन देना बेटी बचाओं बेटी पढ़ओं के नारे को आगे बढ़ाने का सही मतलब जान पड़ता है। महिलाओं की भागीदरी निश्चित रूप से सेना को और अधिक मजबूती बनाएगा लेकिन यह अभी बहस तक ही सीमित है। इसी सन्बन्ध में विदेशों में लोग अधिक जागरूक नज़र आते है, ब्रिटेन मेें हर 10 में से एक सैनिक सदस्य ही महिला होती है, कई जगहा महिला आदिवासी क्षेत्रो में भातरीय सेना के लोगो को रक्षा करने वाला समझा जाता है, उदारण के तौर पर असम में इन क्षेत्रो में रहने वाले पिछडे वर्ग के लोगो को बात चित करने में खास तौर से महिलाए से अधिक परेशानी होती है, महिला सेनीक को इस में सफलता जल्द मिलेगी। महिला को दया का प्रतिक मानते हुए इन मामलों में हम ओर अधिक सफल हो सकते है। ये मुमकिन है कि कम ही महिलए कम ही यु़द्ध सेना में शामिल हो क्योकि उन्हे पुरूषो जैसा शारीरिक क्षमता का टेस्ट महिलाएं फिटनेस टेस्ट पास नहीं कर पाती है। मनेद्र परार्शर, प्रो0 सेन्य संस्थान, ‘‘सेना में महिलओं की भागीदारी को लेते हुए कहते है कि उनका शारीरिक क्षमता में कुछ अधिक या कम होना स्वभाविक है लेकिन इससे हमारा सपना अधुरा न रह जाए, परार्शर कहते है कि महिला अपराध में बढोतरी होती ही चली जा रही है, उनको अपने प्रति ओर अधिक जागरूक होना चाहिए यदि वे मार्शआर्ट ओर ऐसे ओर रक्षा सूत्रो के प्रति अपने को तैयार करेगी तो सम्वभाविक ही कोई उनको नुकसान से पहले सौ बार सोचेगा।‘‘

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